शिमला : हिमाचल प्रदेश में एक राज्यसभा सीट के लिए हुए चुनाव के दौरान जो कुछ हुआ, उसे पूरे देश ने देखा. कांग्रेस के बहुमत के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी हर्ष महाजन को जीत मिली। बीजेपी प्रत्याशी की जीत के बाद हिमाचल प्रदेश में खासी उठापटक भी नजर आई। सियासत की यह लड़ाई अब कानून के दरवाजे तक पहुंच गई है। एक तरफ जहां अयोग्य घोषित हुए विधायकों ने स्पीकर के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है । वहीं दूसरी तरफ मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी और मनाली के विधायक भुवनेश्वर गौड़ ने थाना बालूगंज में मामला दर्ज करवाया है।
पूछताछ के लिए नहीं पहुंचे निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा और राकेश शर्मा : इस मामले में निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा और बागी नेता चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा को आरोपी बनाया गया है। दोनों पर खरीद-फरोख्त और सरकार को अस्थिर करने के आरोप हैं । इस मामले में बीते दिनों दोनों आरोपियों ने हिमाचल हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत ले ली थी। हाई कोर्ट ने दोनों आरोपियों को पूछताछ में सहयोग करने के लिए कहा था।
शुक्रवार को मामले में गठित की गई एसआईटी ने पूछताछ के दोनों आरोपियों को बुलाया, लेकिन दोनों ही आरोपी थाने नहीं पहुंचे । इन दोनों आरोपियों की जगह पांच वकील थाने पहुंचे । जानकारी के मुताबिक, वकीलों ने एसआईटी से कहा कि ब्लड प्रेशर और पेट में दर्द होने की चलते वे आज थाने नहीं आ सके हैं । हिमाचल प्रदेश पुलिस अब इस पूरे मामले में हाई कोर्ट के सामने स्टेटस रिपोर्ट भी प्रस्तुत करेगी।
इन धाराओं में मामला दर्ज : शिमला में पुलिस थाना बालूगंज में आरोपियों के खिलाफ 171- सी और ई,120- बी आईपीसी के साथ पीसी एक्ट की धारा 7 और 8 के तहत मामला दर्ज किया गया है. मामले में जांच के लिए एएसपी नवदीप सिंह की अध्यक्षता में एक एसआईटी का गठन किया गया है. हिमाचल प्रदेश की सियासत में कानून के द्वार पर पहुंचा यह मामला खबरों के केंद्र में है. इस मामले में शिकायतकर्ता और आरोपी दोनों ही हाई प्रोफाइल हैं।