पंजाब विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस की चुनावी रणनीति फिलहाल उल्टी पड़ती नजर आ रही है। पार्टी ने इस बार कुछ खास उम्मीदों के साथ सांसदों की पत्नियों को टिकट दिया, लेकिन अब यह फैसला कांग्रेस के लिए मुश्किलों का कारण बनता जा रहा है।
गिद्दड़बाहा और डेरा बाबा नानक सीटों पर पार्टी का चुनाव प्रचार दिख रहा है, जबकि अन्य सीटों पर कांग्रेस का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कम है। इसके विपरीत, आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी दोनों ही पार्टियां चारों सीटों पर अपनी पूरी ताकत झोंक रही हैं और हर सीट पर चुनावी माहौल को गर्म कर रही हैं। कांग्रेस की यह रणनीति, जिसमें सांसदों की पत्नियों को टिकट दिया गया है, पार्टी के भीतर ही विरोध का कारण बन चुकी है। कई नेताओं ने सवाल उठाए हैं कि क्या यह एक सशक्त और जनप्रिय उम्मीदवारों का चुनाव था, या फिर केवल पारिवारिक राजनीति को बढ़ावा देने का प्रयास था। इससे पार्टी की साख पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है, क्योंकि उपचुनाव में कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। पार्टी को यह चिंता सता रही है कि यदि परिणाम उसके पक्ष में नहीं आते, तो यह उसके लिए एक बड़ा राजनीतिक झटका साबित हो सकता है।
वहीं, विपक्षी दलों की ओर से कांग्रेस के इस कदम पर तीखे हमले किए जा रहे हैं। आम आदमी पार्टी और बीजेपी इसे परिवारवाद और चुनावी प्रक्रिया में निष्पक्षता की कमी के रूप में पेश कर रहे हैं। पंजाब में कांग्रेस के लिए यह उपचुनाव एक महत्वपूर्ण परीक्षा बन चुका है, और पार्टी को अब अपने चुनावी दांव पर ध्यान से पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।