राजपुरा । केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पटियाला में किसानों के एक समूह से बृहस्पतिवार को बातचीत की और उन्हें अलग- अलग प्रकार की फसलों को अपनाने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने कहा कि समय की मांग है कि ऐसी फसलें उगाई जाएं जो लाभ देने के साथ- साथ पानी की खपत भी कम करें। जम्मू-कश्मीर में 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद इंडस वाटर ट्रीटी सस्पेंड करने के मोदी सरकार के फैसले का जिक्र करते हुए चौहान ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के लिए सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के पानी का उपयोग करने के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसानों के मुद्दों का समाधान चर्चा एवं संवाद के माध्यम से संभव है।
केंद्र के ‘Developed Agriculture Resolution Campaign’ के तहत सेंट्रल मिनिस्टर ने पटियाला के राजपुरा में गंडिया खेड़ी गांव का दौरा किया, जहां उन्होंने एक फार्मस ग्रुप से मुलाकात की। ग्रुप ने अपनी प्रॉब्लम से उन्हें अवगत कराने के अलावा अपनी मॉडर्न एग्रिकल्चर प्रैक्टिस के बारे में जानकारी दी।
चौहान के साथ पंजाब के एग्रिकल्चर मिनिस्टर गुरमीत सिंह खुड्डियां, Punjab Agricultural University के वाइस चांसलर सतबीर सिंह गोसल और Indian Council of Agricultural Research के साइंटिस्ट भी मौजूद रहे। देश के फूड स्टोर में पंजाब के किसानों की भूमिका की सराहना करते हुए चौहान ने कहा कि देश ने इस वर्ष गेहूं, धान, मक्का और सोयाबीन का ऑलटाइम रिकॉर्ड उत्पादन दर्ज किया है। चौहान ने कहा, ” इसमें पंजाब की सबसे बड़ी भूमिका रही और मैं पंजाब की धरती को नमन करता हूं।”
सेंट्रल मिनिस्टर ने कहा कि PM मोदी का लक्ष्य है कि क्रौप प्रोडक्शन बढ़े, लागत कम हो, किसानों को उनकी फसलों का profitable price मिले और अगर उन्हें कोई नुकसान होता है तो उन्हें कंपन्सेशन दिया जाए। किसानों के साथ अपनी बातचीत का जिक्र करते हुए चौहान ने कहा कि वे किसानों द्वारा अपनाई जा रही चावल की सीधी बुआई तकनीक से प्रभावित हैं और वे अन्य किसानों से भी कम पानी की खपत के लिए DSR अपनाने का रिक्वेस्ट करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘मुझे सीधी बुआई, मशरूम की खेती या साइलेज बनाने सहित अच्छी फसल पद्धतियों से अवगत कराया गया।’ ‘साइलेज’ एक संरक्षित हरे चारे का प्रकार है जो पशुओं के लिए एक न्यूट्रियस और बैलेंस डाइट होता है नेशनवाइड कैंपेन ‘Vikas Krishi Sankalp Abhiyaan’ के बारे में चौहान ने कहा कि वह किसानों से मिलकर उनकी प्रॉब्लम समझ रहे हैं। एक सवाल के जवाब में चौहान ने कहा कि क्रॉप डाइवर्सिफिकेशन प्रोग्राम समय की मांग है।