शिमला : पर्यटन की आड़ में प्रदेश को किसी भी सूरत में ‘नशे की भूमि’ नहीं बनने देंगे यह शब्द राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहते हुए कहा कि अपनी प्राथमिकता में शुमार करते हुए प्रदेश को नशामुक्ति के लिए तैयार करने को कहा है। हर स्तर पर सबके सहयोग से इस अभियान को सफल बनाया जाएगा। राजभवन में हिमाचल प्रदेश पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों के साथ हुई बैठक की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल ने पंचायती राज संस्थाओं, शिक्षण संस्थानों, गैर सरकारी संस्थाओं, कम्युनिटी बेस्ड आर्गेनाइजेशन, शोध संस्थानों में जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया।
राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश पर्यटन के लिए भी जाना जाता है। पर्यटन से अर्थ-व्यवस्था मजबूत बनती है। लेकिन, पर्यटन की आड़ में प्रदेश को नशे की भूमि नहीं बनने दिया जा सकता। उन्होंने कहा कि सबके सहयोग से ही रास्ता निकल सकता है। पड़ोसी राज्यों की सरकारों के साथ बातचीत करके इसकी तस्करी को रोका जा सकता है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश जैसा शांति प्रिय राज्य जिसे देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है, में मादक पदार्थों का सेवन प्रमुख मुद्दा बन गया है। जबकि देवभूमि में नशे के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि नशे का अवैध धंधा अब एक संगठित अपराध की तरह फैल रहा है, जिसके लिए पुलिस को बॉर्डर एरिया में अधिक सतर्कता और निरंतर प्रयास की आवश्यकता है। उन्होंने विशेष तौर पर सिंथेटिक ड्रग्स और चिट्टे से युवाओं को बचाने की अपील की। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए प्रदेश में नशे के खात्मे के लिए राज्य सीआईडी का खास अभियान ‘प्रधाव’ की सरहाना की।
इस मौके पर डीजीपी संजय कुंडू ने इस गंभीर विषय के समाधान के लिए अलग से एंटी नारकोटिक्स थाने और दस्ते गठित करने का सुझाव दिया। उन्होंने नशीली दवाओं के सेवन और अवैध तस्करी के मामले में पुलिस बल द्वारा उठाए गए प्रभावी कदमों और कार्रवाई से राज्यपाल को अवगत करवाया। इस अवसर पर अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक अभिषेक त्रिवेदी, अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक सतवंत अटवाल त्रिवेदी, प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए 10 पुलिस अधीक्षक, राज्यपाल के सचिव राजेश शर्मा मौजूद रहे।