गढ़शंकर। फसल अवशेष प्रबंधन पर किसान जागरूकता शिविर का डीसी आशिका जैन आईएएस एवं मुख्य कृषि अधिकारी होशियारपुर डॉ. दपिंदर सिंह के मार्गदर्शन तथा कृषि अधिकारी गढ़शंकर डॉ. सुखजिंदर सिंह के कुशल नेतृत्व में आयोजन किया गया। इस अवसर पर डॉ. सुखजिंदर पाल ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि किसान धान की पराली न जलाएं क्योंकि इससे पर्यावरण में जहरीली गैसें उत्पन्न होती हैं और इसका मुख्य प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है तथा धरती की उर्वरा शक्ति भी कम होती है। धान की फसल के माध्यम से मिट्टी से प्राप्त पोषक तत्वों में से 25% नाइट्रोजन, 50% सल्फर और 75% पोटाश पराली में चला जाता है और प्रति टन पराली में 4-5.5 किलोग्राम नाइट्रोजन, 2 से 2.5 किलोग्राम फास्फोरस, 15 से 25 किलोग्राम पोटाश, 25 किलोग्राम सल्फर और 400 किलोग्राम कार्बनिक कार्बन होता है। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से ये सभी तत्व नष्ट हो जाएंगे। कृषि विकास अधिकारी डॉ. जसविंदर कुमार ने सरसों और गेहूं की फसलों की खेती के बारे में किसानों के साथ सुझाव साझा किए और कहा कि किसानों को सरसों की खेती के लिए डीएपी उर्वरक की बजाय सिंगल सुपर फास्फेट उर्वरक का उपयोग करना चाहिए क्योंकि तिलहन फसलों को सल्फर की आवश्यकता होती है जो सिंगल सुपर फास्फेट उर्वरक के माध्यम से उपलब्ध होती है। उप निदेशक कृषि विज्ञान केंद्र बाहोवाल डॉ. मनिंदर सिंह बौंस ने किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र वाहोवाल में उपलब्ध रबी फसलों के बीजों के बारे में जानकारी दी। डॉ. प्रभजोत कौर और डॉ. कर्मवीर सिंह गरचा ने किसानों के साथ प्राकृतिक खेती के बारे में सुझाव साझा किए। डॉ. मनप्रीत सिंह कृषि विकास अधिकारी गढ़शंकर ने किसानों को रबी फसलों की खेती के बारे में जानकारी दी। इस अवसर पर, गढ़शंकर ब्लॉक के विभिन्न गांवों के पांच किसानों को पिछले कई वर्षों से फसल अवशेष प्रबंधन और पराली न जलाने के लिए सम्मानित भी किया गया। इस अवसर पर, अजय कुमार सीएससी केंद्र भवानीपुर द्वारा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थियों की ई.के.वाई.सी. की गई। इस अवसर पर कुलविंदर सिंह सानी बीटीएम, बहादुर सिंह कृषि उप निरीक्षक, हरप्रीत सिंह कृषि उप निरीक्षक, बलराज सिंह एटीएम, सतीश कुमार एटीएम, मोहित कुमार एटीएम, राजकुमार, सतपाल और विभिन्न गांवों से आए किसान उपस्थित थे।