एएम नाथ। शिमला : हिमाचल प्रदेश में 6 विधायकों को संसदीय सचिव बनाने के फैसले को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है. हाईकोर्ट ने इससे जुड़े एक्ट को भी असंवैधानिक करार दिया है. ऐसे में अब सरकार ने इन 6 विधायकों को संसदीय सचिव के पद से हटा दिया है.
उनको इस पद के लिए मिलने वाली सभी सुविधाएं और गाड़ी भी वापस ले ली गई है. विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त करके के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने वाले भाजपा विधायकों के वकील वीर बहादुर ने दावा किया कि ऑफिस फॉर प्रॉफिट के मामले में इन विधायकों की सदस्यता जा सकती है.
सूत्रों के मुताबिक ऑफिस फॉर प्रॉफिट के मामले में इन विधायकों पर कार्रवाई हो सकती है. यह पूरा मामला सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के लिए बहुत ही गंभीर खतरा बन सकता है. क्योंकि उनके पास वैसे ही बहुत कम विधायकों का बहुमत है. इन 6 विधायकों के अयोग्य करार होते ही, उनकी सरकार पर खतरा बढ़ सकता है. ठीक इसी तरह का मामला दिल्ली में फंसा था. जब अरविंद केजरीवाल ने अपने 21 विधायकों को 2015 में संसदीय सचिव बना दिया था. जिनको बाद में ऑफिस फॉर प्रॉफिट के मामले में अयोग्य ठहरा दिया गया था.
केजरीवाल भी ऐसे ही फंसे : यह मामला 2015 से ही अरविंद केजरीवाल के सर पर तलवार बनकर लटका रहा है. दिल्ली में इन 21 विधायकों को दिल्ली सरकार में संसदीय सचिव बना कर उन्हें मंत्रियों की तरह सुख सुविधा दी गई थी. इसको लेकर भाजपा ने केजरीवाल पर जमकर हमला भी बोला था. इस तरह देखा जाए तो अगर इन सब विधायकों को ऑफिस पर प्रॉफिट मामले में अयोग्य घोषित कर दिया गया तो हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार वैसे ही संकट में आ जाएगी. क्योंकि उनके पास वैसे ही बहुमत बहुत कम है.
सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार : हाईकोर्ट का फैसला सामने आने के बाद राज्य के एडवोकेट जरनल अनूप रत्न ने कहा कि सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाएगी. जबकि सुक्खू के कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी ने अपनी निजी राय जाहिर करते हुए कहा कि सरकार को इस मामले में हाईकोर्ट नहीं जाना चाहिए. गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद सीएम सुक्खू ने पालमपुर के विधायक आशीष बुटेल, बैजनाथ से किशोरी लाल, कुल्लू से विधायक सुंदर सिंह ठाकुर, रोहड़ू से विधायक मोहन लाल ब्राक्टा और सोलन के अर्की से संजय अवस्थी को सीपीएस बनाया था.