दिल्ली में अब आतिशी मुख्यमंत्री होंगी. मंगलवार को आम आदमी पार्टी की विधायक दल की बैठक में आतिशी को अगला मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया गया. 15 सितंबर को अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया था. उन्होंने कहा था कि जब तक जनता नहीं चुनती, तब तक वो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे. उनके इस्तीफे के ऐलान के बाद मंगलवार को विधायक दल की बैठक में आतिशी को मुख्यमंत्री चुना गया. आतिशी विधानसभा चुनावों तक मुख्यमंत्री रहेंगी. दिल्ली में अगले साल फरवरी में विधानसभा चुनाव होंगे. मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी को खत्म हो रहा है.
आतिशी की गिनती केजरीवाल के सबसे भरोसेमंद लोगों में होती है. 2020 के विधानसभा चुनाव में आतिशी पहली बार विधायक चुनी गई थीं. तब उन्हें केजरीवाल सरकार में मंत्री पद भी नहीं मिला था. पिछले साल ही उन्हें मंत्री बनाया गया था. आतिशी की केजरीवाल कैबिनेट में एंट्री इसलिए हुई थी, क्योंकि कथित शराब घोटाले में मनीष सिसोदिया जेल चले गए थे. बहरहाल, अब आतिशी दिल्ली की मुख्यमंत्री होंगी. अरविंद केजरीवाल महज विधायक रह जाएंगे. मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद केजरीवाल को मिलने वाली सैलरी और भत्ते भी कम हो जाएंगे. इसके साथ उनकी कुछ सुविधाओं में कटौती हो जाएगी.
अब कितना मिलेगा सैलरी-भत्ता : दिल्ली में पिछले साल ही विधायकों, मंत्रियों-मुख्यमंत्री की सैलरी-भत्ते में बढ़ोतरी की गई है. सैलरी और भत्तों में ये बढ़ोतरी 12 साल बाद हुई थी. विधायकों की सैलरी 66% और मंत्रियों-मुख्यमंत्री की सैलरी 136% तक बढ़ाई गई थी. दिल्ली के विधायकों की महीनेभर की बेसिक सैलरी 30 हजार रुपये है. पहले ये 12 हजार थी. जबकि, मंत्रियों और मुख्यमंत्री की बेसिक सैलरी अब 60 हजार रुपये है, जो पहले 30 हजार रुपये थी.
मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, स्पीकर, डिप्टी स्पीकर और नेता प्रतिपक्ष को हर महीने सैलरी और भत्ते मिलाकर 72 हजार रुपये की बजाय 1.70 लाख रुपये मिलते हैं. मंत्रियों और मुख्यमंत्री को हर महीने बेसिक सैलरी के रूप में 60 हजार, निर्वाचन भत्ता 30 हजार, सचिवालय भत्ता 25 हजार, सम्प्चुअरी अलाउंस (गेस्ट के खर्च के लिए अलग से भत्ता) 10 हजार रुपये मिलेगा. इसके अलावा हर दिन 1,500 रुपये का डेली अलाउंट भी मिलता है. इस तरह से कुल 1.70 लाख रुपये होते हैं.
जबकि, विधायकों की बेसिक सैलरी 30 हजार रुपये है. विधायकों को हर महीने 25 हजार का निर्वाचन भत्ता, 15 हजार का सचिवालय भत्ता, 10 हजार का यात्रा भत्ता और टेलीफोन भत्ता 10 हजार रुपये मिलता है. इस हिसाब से विधायकों को हर महीने 90 हजार रुपये मिलते हैं. इन सबके अलावा विधायकों को 1,500 रुपये का डेली अलाउंस भी मिलता है. लेकिन डेली अलाउंस साल में सिर्फ 40 दिन का ही मिलता है. यानी कि केजरीवाल को अब 1.70 लाख रुपये की जगह हर महीने 90 हजार रुपये ही मिलेंगे. उन्हें डेली अलाउंस भी नहीं मिलेगा. सीधा-सीधा मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद उनको हर महीने वाली सैलरी और भत्ते लगभग आधे हो जाएंगे.
और क्या-क्या सुविधाएं जाएंगी : दिल्ली सरकार के मंत्रियों और मुख्यमंत्री को हर महीने चौपर और सरकारी गाड़ी की सुविधा भी मिलती है. सरकारी गाड़ी में हर महीने 700 लीटर पेट्रोल फ्री रहता है. अगर मुख्यमंत्री अपनी निजी गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें हर महीने 10 हजार रुपये का भत्ता मिलता है. जबकि, विधायकों को ऐसी सुविधा नहीं मिलती. हालांकि, उन्हें हर महीने 10 हजार रुपये का भत्ता मिलता है.
इसके अलावा, मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल में किसी भी वक्त 12 लाख रुपये तक का लोन ले सकते हैं. ये लोन उन्हें गाड़ी खरीदने के लिए मिलता है. जबकि, विधायकों को 8 लाख रुपये तक का लोन ही मिलता है. मुख्यमंत्री को हर महीने पांच हजार यूनिट तक की बिजली फ्री मिलती है. जबकि, विधायकों हर महीने 4 हजार रुपये तक का बिजली और पानी फ्री में इस्तेमाल कर सकते हैं.
ये सुविधाएं मिलती रहेंगी : केजरीवाल भले ही अब मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे, लेकिन एक विधायक के तौर पर उनकी ये सुविधाएं अब भी जारी रहेंगी. उन्हें अब भी हर महीने 30 हजार रुपये डेटा एंट्री ऑपरेटर की सैलरी के लिए मिलेंगे. मुख्यमंत्री और विधायक अपने दफ्तर में डेटा एंट्री ऑपरेटर रखते हैं, जिसकी सैलरी सरकारी खर्च से ही आती है.
इसके अलावा, दिल्ली में सभी विधायकों, मंत्रियों और मुख्यमंत्री को सालाना 1 लाख रुपये तक की यात्रा की सुविधा मिलती है. विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री और उनका परिवार सालाना देशभर में 1 लाख रुपये तक की यात्रा कर सकता है.