एएम नाथ । शिमला.: हिमाचल प्रदेश के एक स्कूल में ऐसा मामला सामने आया है जिसने न केवल अभिभावकों बल्कि शिक्षा प्रशासन को भी सकते में डाल दिया है। स्कूल के क्लासरूम में एक शिक्षक नशे में धुत पाए गए, जिसकी सूचना मिलने के बाद अभिभावकों ने तुरंत वहां पहुंचकर घटना का वीडियो बना लिया।
वीडियो वायरल होने के बाद स्थानीय समाज और अभिभावकों ने शिक्षक को तुरंत सस्पेंड करने की मांग की है।
घटना के अनुसार, शिक्षक क्लासरूम में मौजूद थे, लेकिन उनकी हालत ऐसी थी कि वे बच्चों को पढ़ाने के योग्य नहीं थे। अभिभावकों ने बताया कि उन्होंने अपने बच्चों से शिकायत मिलने के बाद यह कार्रवाई की। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि शिक्षक का व्यवहार असामान्य था और वे पूरी तरह से नशे की हालत में थे।
स्थानीय लोगों और अभिभावकों ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि इस प्रकार का व्यवहार बच्चों की पढ़ाई और मानसिक स्थिति पर गहरा असर डाल सकता है। उन्होंने स्कूल प्रशासन से अपील की है कि ऐसे शिक्षक को तुरंत सस्पेंड करके जांच की जाए और शिक्षा संस्थान की प्रतिष्ठा को बनाए रखा जाए।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत जांच शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि शिक्षक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया जारी है। विभाग ने यह भी कहा कि बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि नशे में शिक्षक का क्लासरूम में उपस्थित होना बच्चों की मानसिक और शैक्षणिक प्रगति पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। उन्होंने अभिभावकों को भी सलाह दी कि इस तरह की घटनाओं की सूचना तुरंत संबंधित अधिकारियों को दें ताकि समय पर कार्रवाई की जा सके।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो ने इस मामले को और अधिक सार्वजनिक कर दिया है। वीडियो देखने के बाद लोग प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के अनुशासन और व्यवहार का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित रहे।
स्कूल प्रशासन ने कहा कि शिक्षक को फिलहाल क्लासरूम से हटाया गया है और मामले की जांच जारी है। साथ ही शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को निर्देश दिया है कि शिक्षक की उपस्थिति और व्यवहार पर नियमित निगरानी रखें।
इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि विद्यालय और अभिभावकों के बीच सहयोग बेहद जरूरी है। बच्चों की सुरक्षा और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए शिक्षक और प्रशासन दोनों की जिम्मेदारी है कि वे अपने कर्तव्यों का पालन पूरी ईमानदारी से करें।