भाजपा को 27 व बसपा को 18 मत
गढ़शंकर: नगर कौसिंल गढ़शंकर के चुनावों में तेरह बार्डो से पार्षद चुनने के लिए 9449 मतदाताओं ने अपने मत का उपयोग किया था। जिसमें से 6753 मतदाताओं ने निर्दलीय के पक्ष में तो विभिन्न राजनीतिक पार्टीयों के प्रत्याशियों को 2696 मतदाताओं ने ही मत डाले। जिसमें से भी सिर्फ काग्रेस को ही 2344 मत पड़े तो अन्य पार्टीयों में शिरोमणी अकाली दल को 307, भाजपा को 27 व बसपा को 18 मत पड़े। काग्रेस ने अपने चुनाव चिन्ह पर दस बार्डो में, शिरोमणी अकाली दल ने सात बार्डो में, भाजपा ने दो बार्डो में तो बसपा ने एक बार्ड में अपने चुनाव चिन्ह पर प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। हालांकि बार्ड एक से बसपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष रछपाल राजू की पत्नी ने जीत दर्ज करते हुए 374 मत प्राप्त किए तो कई अन्य बार्डो में विभिन्न पार्टीयों के नेता विभिन्न प्रत्याशियों की सीधे व असीधे तौर पर साथ देते रहे।
हालांकि विभिन्न पार्टीयों के नेताओं ने दूसरे बार्डो में निर्दलीयों के पक्ष मत डलवाने की कोशिश की। सबसे बड़ी जीत बार्ड नंबर गयारह में काग्रेस की संजीव रानी को निर्दलीय जसविंदर कौर ने 304 मतों से हराकर दर्ज की तो सबसे कम अंतर से निर्दलीय दीपक कुमार दीपा ने काग्रेस के विनोद कुमार को तीन मतों से हराया। इस चुनाव मेें जमकर भीतरघात भी हुया और इसका सबसे बड़ा उदाहरण रहा एक बार्ड यहां काग्रेस के प्रत्याशी को हराने के करीव पांच पार्टीयां एकजुट हो गई तो काग्रेस के कई नेताओं के ईलावा जिस गुट ने बार्ड एक के प्रत्याशी को टिकट दिया था उस गुट के कई व्यक्ति भीतरघात करने से चूके नहीं। काग्रेस के पूर्व विधायक लव कुमार गोल्डी के पक्ष के दो चुनाव चिन्ह पर तो तीन निर्दलीय जीते, पंकज कृपाल गुट में उनकी पत्नी सहित दो जीते तो निमषा महिता का एक चुनाव जीता। इस तरह काग्रेस के आठ पार्षद चुनाव जीत कर आए माने जा रहे है। प्रंतू एक मंच पर सभी गुटों का आना मुशकिल है। लेकिन अगर काग्रेस गुटबाजी से ऊपर उठकर चनाव लड़ती तो दस से गयारह सीटों पर जीत दर्ज कर सकती थी। लेकिन काग्रेस की गुटबाजी के कारण गढ़शंकर में खंडित जनादेश जनता ने दिया। जिसके चलते अव अध्यक्ष पद के लिए जोड़ तोड़ का खेल होगा और इसमें जीत किसके हाथ लगेगी। यह तो समय ही बताएगा।