होशियारपुर/दलजीत अजनोहा : पंजाबी साहित्य सभा, होशियारपुर द्वारा जिला भाषा अधिकारी कार्यालय के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में प्रिंसिपल गुरदियाल सिंह फुल की पुस्तक ‘रिश्तों की महक’ का लोकार्पण और गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. करमजीत सिंह, मदन वीरा, तृप्ता के. सिंह, डॉ. जसवंत राय और डॉ. हरप्रीत सिंह ने की।
समारोह की शुरुआत में शोध अधिकारी डॉ. जसवंत राय ने दिवंगत कवि श्रीराम अर्श, कॉमेडी कलाकार व फिल्म अभिनेता जसविंदर भल्ला, सभा के संरक्षक कुलतार सिंह के भांजे डॉ. हरदीप सिंह सेठी तथा हाल ही में आई बाढ़ में असमय मृत्यु को प्राप्त हुए पंजाबी भाइयों के लिए शोक प्रस्ताव पढ़ा। उपस्थित साहित्यकारों और साहित्य प्रेमियों ने दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
सभा की प्रधान तृप्ता के. सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया और लेखक को पुस्तक के लिए बधाई दी। पुस्तक पर शोधपत्र प्रस्तुत करते हुए डॉ. हरप्रीत सिंह ने कहा कि फुल जी की रचनाओं के विविध और व्यापक विषय उनकी सोच की गहराई और मानवीय दृष्टिकोण को दर्शाते हैं। पुस्तक का शीर्षक पूंजीवादी युग में टूटते रिश्तों की पवित्रता को बचाए रखने का संदेश देता है।
मदन वीरा ने आलोचनात्मक टिप्पणी करते हुए कहा कि पुस्तक में जहां लेखक एक शिक्षक के रूप में गंभीर दृष्टिकोण रखते हैं, वहीं सांस्कृतिक संदर्भों में कभी-कभी सतही भी प्रतीत होते हैं। तृप्ता के. सिंह और अन्य साहित्यकारों ने भी अपने विचार साझा किए। बहस को समेटते हुए डॉ. करमजीत सिंह ने कहा कि वार्तक लेखन कोई सरल कार्य नहीं, इसके लिए गहन अध्ययन आवश्यक है। उन्होंने प्रिंसिपल तेजा सिंह को इसका सर्वोत्तम उदाहरण बताया और लेखक को बधाई दी, साथ ही आगामी संस्करण में सांस्कृतिक पहलुओं पर और गहराई से काम करने का सुझाव दिया।
समारोह के दूसरे सत्र में आयोजित कवि दरबार में प्रिंसिपल दास भारती, हरदियाल होशियारपुरी, सुरिंदर कंगवी, मीनाक्षी मेनन, राज कुमार घासीपुरीया, तीर्थ चंद सरोआ, जसवंत सिंह, भुपिंदरप्रीत कौर, सतीश कुमार आदि कवियों ने अपनी-अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
इस अवसर पर लेखक के साथ-साथ अध्यक्ष मंडल का भी शॉल और पुस्तकों के सेट देकर सम्मान किया गया। मंच संचालन की जिम्मेदारी डॉ. जसवंत राय ने निभाई। कार्यक्रम में हरविंदर साबी, गुरप्रीत सिंह, इंस्पेक्टर मनिंदर सिंह, रवी सिंह, मंगल सिंह, शकुंतला देवी, मनहरप्रीत कौर, रवनूर कौर, अनहदनाद कौर सहित अनेक साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।
