चंडीगढ़, 15 दिसंबर: चंडीगढ़ के पर्यटन विभाग में बड़े स्तर पर गड़बड़ी सामने आई है। यह खुलासा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी द्वारा लोकसभा में लगाए गए एक सवाल के जवाब के बाद हुआ है।
सांसद तिवारी ने बताया कि चंडीगढ़ में पर्यटन से जुड़ी गतिविधियों के नाम पर किया गया खर्च बेहद चौंकाने वाला है। इसके तहत पिछले तीन वित्तीय वर्षों में कथित तौर पर पर्यटन से संबंधित गतिविधियों पर 33.26 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इस कुल राशि में से करीब एक-तिहाई, यानी 11.84 करोड़ रुपये कलाकारों और अन्य वेंडरों को भुगतान के रूप में दिए गए, जबकि शेष लगभग 22 करोड़ रुपये की राशि का कोई स्पष्ट हिसाब सामने नहीं आया है।
उन्होंने खुलासा किया कि केंद्र सरकार और चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा जानबूझकर इस सवाल से बचने की कोशिश की गई है, जिसमें यह पूछा गया था कि किस कलाकार को, किस कार्यक्रम के लिए और कितनी राशि का भुगतान किया गया है। यहां तक कि कलाकारों और वेंडरों को किए गए भुगतान के बाद बची लगभग 22 करोड़ रुपये से अधिक की राशि के संबंध में भी कोई विवरण नहीं दिया गया है। यह स्पष्ट नहीं किया गया कि यह पैसा किन कार्यों पर खर्च हुआ है।
इस संबंध में सांसद तिवारी ने प्रशासन की एडवाइजरी कमेटी की पर्यटन संबंधी सब-कमेटी से पूरे खर्च का विस्तृत हिसाब मांगने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह भी जांच होनी चाहिए कि वास्तव में चंडीगढ़ में कोई ऐसी पर्यटन गतिविधि हुई भी है या नहीं, जिसके लिए इतना भारी खर्च दिखाया गया है।
सांसद तिवारी ने जोर देते हुए कहा कि यह जनता का पैसा है और इसके इस्तेमाल में पारदर्शिता होना जरूरी है।
गौरतलब है कि सांसद तिवारी ने चंडीगढ़ में पर्यटन से जुड़ी गतिविधियों पर होने वाले खर्च और उसकी ऑडिट को लेकर लोकसभा में सवाल पूछा था। इस सवाल के जवाब में केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार द्वारा चंडीगढ़ प्रशासन के पर्यटन विभाग को सीधे तौर पर कोई बजट नहीं दिया जाता, लेकिन मेलों और त्योहारों के आयोजन के लिए वित्तीय सहायता जरूर दी जाती है। इसी के तहत तीन वर्षों की अवधि में 33.26 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था। मंत्री ने बताया कि इन सभी खर्चों की ऑडिट कैग के तहत केंद्रीय ऑडिट कार्यालय द्वारा नियमित रूप से की गई है।
