गढ़शंकर, 22 नवम्बर: चंडीगढ़ में हरियाणा की राजधानी के निर्माण के लिए जगह और धन उपलब्ध कराने के केंद्र सरकार के अन्यायपूर्ण प्रस्ताव को तुरंत रद्द करने के लिए भारतीय इनकलाबी मार्क्सवादी पार्टी ( आर.एम.पी.आई.) की ओर से पार्टी के जिला सचिव कामरेड प्यारा सिंह के नेतृत्व में प्रधानमंत्री को एक मांग पत्र एस.डी.एम. गढ़शंकर के माध्यम से भेजा गया। इस संबंध में पार्टी के तहसील गढ़शंकर के सचिव कामरेड रामजी दास चौहान ने कहा कि केंद्र का यह प्रस्ताव पूरी तरह से अन्यायपूर्ण, असंवैधानिक है और पंजाब के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है क्योंकि चंडीगढ़ पर केवल पंजाब का ही अधिकार है और यह पंजाब के गांवों के उजाड़े से बसायि गया है। पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 के अनुसार यह निर्णय लिया गया कि चंडीगढ़ पंजाब में रहेगा और हरियाणा की राजधानी कहीं और बनाई जाएगी।
1985 का राजीव लोगोवाल समझौता तथा अन्य अंतरराज्यीय व्यवहारों में चंडीगढ़ को पंजाब को देने पर भी सहमति बनी थी। इन तथ्यों को जानते हुए भी केंद्र सरकार का यह प्रस्ताव कई संदेह पैदा करता है। पिछली शताब्दी के आठवें और नौवें दशकों में पंजाब के लोगों को जो कष्ट सहना पड़ा, उसका एक मुख्य कारण चंडीगढ़ को पंजाब को न सौंपा जाना था। अतीत से सबक न लेते हुए अगर अब भी केंद्र सरकार चंडीगढ़ में हरियाणा की राजधानी बनाने को लेकर कोई कदम उठाती है तो पंजाब और हरियाणा के लोगों के बीच कड़वाहट का माहौल पैदा हो सकता है, जिसका फायदा पंजाब विरोधी तत्व उठा सकते हैं। दोनों राज्यों के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इस समय मांग की कि केंद्र सरकार इस प्रस्ताव को खारिज कर चंडीगढ़ को तुरंत पंजाब को सौंप दे और अन्य संबंधित मुद्दों को भी तार्किक और न्यायपूर्ण तरीके से हल किया जाए। इस समय कुलभूषण महिंदवानी, दविंदर कुमार राणा, मलकियत सिंह बाहोवाल, मक्खन सिंह लंगेरी, कामरेड सुच्चा राम, शिंगारा राम भज्जल, गोपाल दास मन्होत्रा और शाम सुंदर मौजूद थे।
फोटो : एसडीएम गढ़शंकर को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपते भारतीय इंकलाबी मार्क्सवादी पार्टी के कार्यकर्ता।