नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बन गए हैं। रविवार को उन्होंने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ-साथ 71 सांसदों ने भी मंत्री पद की शपथ ली। मोदी सरकार में ये सबसे बड़ा मंत्रिमंडल है। 2014 में जब मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, तब उनके साथ 46 सांसद भी मंत्री बने थे। 2019 में उनके मंत्रिमंडल में 59 मंत्री शामिल थे।
2024 में एनडीए की सरकार में प्रधानमंत्री को मिलाकर 72 मंत्री शामिल हैं। मोदी 3.0 में 30 कैबिनेट मंत्री, 5 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 36 राज्य मंत्री बनाए गए हैं। अभी मोदी कैबिनेट में 9 सांसद और मंत्री बन सकते हैं, क्योंकि संविधान में 81 मंत्रियों की सीमा तय है। संविधान के 91वें संशोधन के मुताबिक, लोकसभा के कुल सदस्यों में से 15% को ही मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। लोकसभा में कुल 543 सीटें हैं, इसलिए कैबिनेट में 81 मंत्री ही हो सकते हैं।
संविधान के अनुच्छेद 75 के तहत, प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति मंत्रिमंडल का गठन करते हैं।।मंत्रिमंडल में तीन तरह के मंत्री होते हैं, जिनमें कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्री होता है। मंत्रिमंडल में सबसे ताकतवर कैबिनेट मंत्री होता है। उसके बाद राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और फिर राज्य मंत्री होता है। जिन्हें भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जाता है।उन्हें बाकी सांसदों की तुलना में हर महीने अलग से भत्ता भी मिलता है।
कैबिनेट मंत्री : ऐसे मंत्री सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करती हैं. इन्हें जो भी मंत्रालय दिया जाता है, उसकी पूरी जिम्मेदारी उनकी ही होती है। कैबिनेट मंत्री को एक से ज्यादा मंत्रालय भी दिए जा सकते हैं। कैबिनेट मंत्री का बैठकों में शामिल होना जरूरी होता है. सरकार अपने सभी फैसले कैबिनेट बैठक में ही लेती है।
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) : कैबिनेट मंत्री के बाद स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री होते हैं। इनकी भी सीधी रिपोर्टिंग प्रधानमंत्री को ही होती है। इनके पास अपना मंत्रालय होता है। ये कैबिनेट मंत्री को रिपोर्ट नहीं करते. स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्रियों कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं होते।
राज्य मंत्री : कैबिनेट मंत्री की मदद के लिए राज्य मंत्री बनाए जाते हैं। इनकी रिपोर्टिंग कैबिनेट मंत्री को होती है. एक मंत्रालय में एक से ज्यादा भी राज्य मंत्री बनाए जा सकते हैं। कैबिनेट मंत्री की गैरमौजूदगी में मंत्रालय की सारी जिम्मेदारी राज्य मंत्री की होती है। राज्य मंत्री भी कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं होते।
मंत्री बनने वाले सांसदों को मिलते ही खास सुविधाएं : लोकसभा के सदस्यों को सैलरी और भत्ते सैलरी एक्ट के तहत मिलती है। इसके मुताबिक, लोकसभा के हर सदस्य को हर महीने 1 लाख रुपये की बेसिक सैलरी मिलती है। इसके साथ ही 70 हजार रुपये निर्वाचन भत्ता और 60 हजार रुपये ऑफिस खर्च के लिए अलग से मिलते हैं। इसके अलावा जब संसद का सत्र चलता है तो दो हजार रुपये का डेली अलाउंस भी मिलता है। लेकिन जो सांसद प्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्री या राज्य मंत्री बनते हैं, उन्हें हर महीने बाकी सांसदों की तुलना में एक अलग से भत्ता भी मिलता है।