ऊना: जिला ऊना में आग लगने जैसी घटनाओं पर काबू पाने के लिए जिला दंडाधिकारी ऊना राघव शर्मा ने आदेश जारी किए है जिसमें संबंधित एसडीएम, नायब तहसीलदार/नायब तहसीलदार, फायर ऑफिसर व पटवारी की जिम्मेदारियां तय की गई है।
राघव शर्मा ने कहा कि संबंधित एसडीएम सुनिश्चित करेंगे कि उनके क्षेत्राधिकार में सरकारी भूमि या शामलाट भूमि पर कच्ची झुग्गी-झोपडियां न हो। इसके अलावा अगर सरकारी भूमि या शामलाट जमीन पर झुग्गी-झोपड़ियों के समूह पाए जाते हैं तो संबंधित पटवारी के विरूद्ध अनुशासनात्मक और नियमानुसार कार्यवाही अमल में लाई जा सकती है।
उन्होंने कहा कि अगर किसी जमीनदार द्वारा निजी भूमि पर प्रवासी मजदूरों के लिए अस्थाई झुग्गियां स्थापित की गई हैं, तो वह तीन माह के भीतर प्रवासी मजदूरों के लिए आग प्रतिरोधी ढांचे का निर्माण करवाना सुनिश्चित करें। किसी को भी कच्ची झुग्गी झोपड़ी बनाने की अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा 10 परिवारों के लिए एक पुरूष और एक महिला शौचालय के साथ-साथ हाथ धोने की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि अग्नि प्रतिरोधी ढाचों के बीच 3 मीटर का स्पेस सुनिश्चित किया जाए। प्रत्येक समूह के पास अग्निरोधक संयंत्र उपलब्ध होने चाहिए। निजी जमीन मालिक क्लस्टर की योजना की सूचना संबंधित एसडीएम को फायर सेफ्टी प्रमाण पत्र के साथ साझा करना सुनिश्चित करें। निजी जमीन मालिक सुनिश्चित करेंगे कि पेट्रोल पंप, व्यावसायिक क्षेत्र, इंडस्ट्री सहित अन्य संवदेनशील क्षेत्रों के 200 मीटर दायर में किसी भी झुग्गी-झोपड़ियों का समूह का न हो।
उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति आदेशों की अवहेलना करता पाया जाता है तो उसके विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
राघव शर्मा ने कहा कि यह आदेश जिला में आग लगने जैसी घटनाओं को रोकने के लिए जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि गर्मियों के मौसम के दौरान प्रवासी मजदूरों द्वारा निर्मित झुग्गियों में आग लगने जैसी घटनाएं घटित होती हैं। प्रवासी मजदूर विभिन्न स्थानों पर समूहों में झुग्गी-झोपड़ियां बनाते हैं, जिनमें आग पकड़ने वाली सामग्री प्रयोग में लाई जाती है जो आग के प्रसार को बढ़ाती है। राघव शर्मा ने बताया कि जमीनदारों द्वारा प्रवासी मजूदरों से झुग्गी-झोपडियों का किराया भी वसूल किया जाता है। लेकिन आग लगने जैसी घटनाओं को रोकने के लिए किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं की जाती।
उन्होंने कहा कि निजी जमीनदारों द्वारा प्रवासी लोगों के लिए शौचालयों की कोई व्यवस्था नहीं होती। खुले में शौच से हैज़ा व पीलिया जैसी बीमारियां फैलती हैं। प्रवासी मजदूर संवेदनशील स्थानों जैसे पेट्रोल पंप, आवासीय क्षेत्र या इंडस्ट्री के नजदीक अपनी झुग्गी-झोपड़ियां बनाते हैं, जिससे आग जैसी घटनाएं घटित होने पर भारी जान-माल का नुकसान होने का खतरा होता है। राघव शर्मा ने कहा कि आग लगने जैसी घटनाओं से व्यक्ति के जीवन और सम्पत्तियों को होने वाले नुक्सान को रोकने के साथ-साथ स्वच्छता उपायों का उपयुक्त प्रावधान करने की आवश्यकता है।