लुधियाना : ठगी के मास्टरमाइंड और उसके साथी को लुधियाना कमिश्नरेट पुलिस ने धर दबोचा है। मास्टरमाइंड पंजाब की संगरूर जेल से फर्जीवाड़ा चला रहा था। आरोपी खुद को अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और प्रणाली का एडीजीपी (सेंट्रल कमांडेंट) बता फर्जीवाड़े को अंजाम देता था। मास्टरमाइंड अमन का नाम नाभा जेल ब्रेक कांड से भी जुड़ा है।
लुधियाना पुलिस को इस संबंध में सूचना मिली थी। इसके बाद पुलिस ने भामियां कलां स्थित डीपी कॉलोनी में दबिश दी। यहां से पंकज सूरी को पकड़ने में सफलता हासिल की। पंकज खुद को डिप्टी कमांडेंट बताता था। आरोपी से पूछताछ के दौरान पता चला कि संगरूर जेल में बंद हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले का रहने वाला अमन कुमार उर्फ अविलोक विराज खत्री फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड है।
पुलिस कोआरोपियों के पास से मिला ये सामान: लुधियाना पुलिस मास्टरमाइंड को प्रोडक्शन वारंट पर लाई और पूछताछ की तो सारा राज खुल गया। आरोपियों के पास से पुलिस को सीसीटीएनएस कमांडेंट के नाम से बनाया गया पहचान पत्र, तीन लैपटॉप, एक प्रिंटर, विभिन्न कंपनियों के पांच मोबाइल फोन, चार स्टैंप, सीसीटीएनएस वालंटियर के फर्जी पहचान पत्र की दो कॉपी, पहचान पत्र को रद्द करने के संबंध में एडीजी (इंटेलीजेंस) नई दिल्ली को लिखा पत्र और फर्जी सेंट्रल कमांडेंट वालंटियर नियुक्त करने का अथॉरिटी लेटर मिला है।
फर्जी वेबसाइट सीसीटीएनएस के नाम पर बनाई : लुधियाना के पुलिस कमिश्नर मंदीप सिंह सिद्धू ने बताया कि आरोपी अमन पिछले काफी समय से संगरूर जेल में बंद है। वह जेल के अंदर से ही सोशल मीडिया से लोगों से जुड़ा। आरोपी ने सीसीटीएनएस नाम से एक फर्जी वेबसाइट बना रखी है। वेबसाइट में वह खुद को एडीजीपी (सेंट्रल कमांडेंट) नई दिल्ली बताता था। अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और प्रणाली राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो का एक विभाग है।
अमन फर्जी वेबसाइट के जरिये लोगों को सीसीटीएनएस में वालंटियर भर्ती होने का झांसा देता था और एक फार्म भरने के नाम पर 999 रुपये लेता था। उसने सैंकड़ों लोगों से फर्जीवाड़ा किया है और उन्हें निजी तौर पर सीसीटीएनएस में वालंटियर के तौर पर काम करने को कहा। वह नौजवानों को झांसा देता था कि वह काम पुलिस के इंटेलिजेंस विभाग का ही करेंगे लेकिन वह प्राइवेट तौर पर भर्ती रहेंगे। उन्हें 16 से 22 हजार रुपये गुप्त फंड से वेतन मिलेगा। वह हर नौजवान को एक पद भी देता था।
आरोपी बेहद ही शातिर है। अगर किसी व्यक्ति को अथॉरिटी लेटर या कोई कागजात भेजन होता था तो वह पंकज सूरी के माध्यम से भेजता था। पंकज बाद में प्रिंट निकालकर कागजात संबंधित व्यक्ति को भेज देता था। आरोपियों ने फर्जी स्टैंप भी बनवा रखी थी और अधिकारियों की पूरी जानकारी भी देता था। अमन काम पूरा होने के बाद पंकज को जेल के अंदर से ही निर्देश देता था ताकि किसी को उन पर शक न हो।
जेल में बैठकर आरोपी अमन पूरी तरह से बाहरी दुनिया से जुड़ा था। वह ऑनलाइन भुगतान लेता था। उसने अपना एक क्यूआर कोर्ड भी बना रखा था ताकि अगर किसी को क्यूआर कोड के जरिये पैसे भेजने हैं तो सीधे उसके खाते में भेज सके। आरोपियों ने एक्सिस बैंक का एक खाता नंबर भी दे रखा था। आरोपी ने जेल के अंदर से ही सीसीटीएनएस के नाम से फेसबुक अकाउंट, जीमेल अकाउंट भी बना रखा था। इस पर सरकारी लोगो का भी इस्तेमाल किया गया था। आरोपी ने व्हाट्सएप पर भी एक फर्जी डीपी लगा रखी थी। इसमें खुद को एडीजीपी सेंट्रल कमांडेंट दिखाया है। वह अब तक 400 से अधिक लोगों को अपना शिकार बना चुके हैं।
पुलिस कमिश्नर मंदीप सिंह सिद्धू ने बताया कि आरोपी पहले फर्जी आईपीएस और आईएएस अधिकारी बन चुका है। वह पुलिस और प्रशासन के काम करने के तरीके से पूरी तरह से वाकिफ है। वह आसानी से अधिकारियों की एक्टिंग करता था और दूसरे राज्यों में जाकर खुद को आईपीएस और आईएएस अधिकारी बताता था ताकि उसे उपयुक्त सुरक्षा और सुविधा मिल सके।
पुलिस कमिश्नर ने कहा कि आरोपी अमन कुमार उर्फ अविलोक विराज खत्री पर पंजाब व अन्य राज्यों में फर्जीवाड़े के कई मामले दर्ज हैं। इसके अलावा वह पटियाला समेत पंजाब की कई जेलों में बंद रह चुका है। आरोपी का नाम नाभा जेल ब्रेक कांड में भी सामने आया था। इसने आरोपियों को वर्दी और कानूनी कागजात उपलब्ध करवाए थे। इन्हीं के सहारे गैंगस्टर नाभा जेल से भागे थे। नाभा जेल ब्रेक कांड के बाद आरोपी को वहां से संगरूर की जेल में शिफ्ट कर दिया गया था। पुलिस आरोपियों से पूछताछ करने में जुटी है। पुलिस को उम्मीद है कि आरोपियों से कई बड़े खुलासे हो सकते हैं।
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