एएम नाथ । शिमला : डिजिटल अरेस्ट कर लोगों से ठगी की जा रही है। साइबर अपराधी आम लोगों को वीडियो कॉल, फोन कॉल, सोशल मीडिया और ईमेल से डराकर ठग रहे हैं। प्रदेश सीआईडी की साइबर क्राइम विंग ने चेतावनी दी है कि यह एक संगठित ऑनलाइन घोटाला है।
इसमें अपराधी खुद को जज, पुलिस या सीबीआई अधिकारी बताकर लोगों को झूठे मामलों में फंसा देने की धमकी देते हैं। इन मामलों में जागरूकता से ही बचा जा सकता है। वर्ष 2024 से जुलाई 2025 तक 18 महीनों में प्रदेश में डिजिटल अरेस्ट के 12 मामले दर्ज किए गए हैं। इसमें 5.91 करोड़ रुपये की ठगी हुई है।
पुलिस ने 33 लाख की रिकवरी भी की है। साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन धर्मशाला के अधीन सबसे अधिक 6 मामले दर्ज हुए हैं। साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन मंडी में 4 और साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन शिमला में 2 केस दर्ज हुए हैं। साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन शिमला में 26 दिसंबर 2024 को दर्ज मामले में सबसे अधिक 93,05,500 लाख रुपये की ठगी हुई। इसकी कोई रिकवरी नहीं हो पाई है। धर्मशाला में दर्ज एक मामले में 78,67,000 लाख रुपये की ठगी हुई। इसमें से 16,21,410 लाख रुपये की रिकवरी की जा चुकी है। मंडी में 13 सितंबर 2024 को दर्ज मामले में 73,44,900 रुपये की ठगी हुई। इसमें से महज 3,559 रुपये ही रिकवर हो पाए हैं।
ऐसे होता है डिजिटल अरेस्ट
साइबर ठग पीड़ितों को बताते हैं कि वे किसी गंभीर मामले (जैसे ड्रग्स, मनी लॉन्ड्रिंग या बलात्कार) में फंसे हुए हैं। वे नकली पुलिस वर्दी, पहचान पत्र और ऑफिस का बैकग्राउंड दिखाकर वीडियो कॉल कर डिजिटल अरेस्ट करते हैं। इसके बाद डर और शर्मिंदगी का फायदा उठाकर उनसे पैसे ऐंठते हैं।
ठगी के सामान्य तरीके
फर्जी पुलिस कॉल : वीडियो कॉल पर पुलिस या सीबीआई अधिकारी बनकर डराया जाता है।
फर्जी ईमेल या सोशल मीडिया नोटिस : नकली कोर्ट या पुलिस का नोटिस भेजा जाता है।
पार्सल घोटाला : कहा जाता है कि कोई संदिग्ध पार्सल मिला है जिसमें आपका नाम है।
मनी लॉन्ड्रिंग केस : आपके बैंक खाते को अवैध ट्रांजक्शन से जोड़ा जाता है।
डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें
अनजान नंबर से आई कॉल का जवाब न दें।
डर के कारण किसी को भी पैसे न भेजें।
तुरंत स्थानीय पुलिस को सूचित करें।
1930 पर साइबर हेल्पलाइन को रिपोर्ट करें।
अपने परिवार और खासकर बुजुर्गों को जागरूक करें।