होशियारपुर, 11 नवंबर: डिप्टी कमिश्नर कोमल मित्तल के निर्देशानुसार और किसानों को रबी फसलों की खेती के लिए आवश्यक खाद उपलब्ध कराने के उद्देश्य से कृषि और किसान कल्याण विभाग द्वारा जिले में एक विशेष अभियान चलाया गया है। इसके अंतर्गत विभिन्न टीमों द्वारा खाद विक्रेताओं की दुकानों और गोदामों का औचक निरीक्षण किया गया।
इस दौरान मुख्य कृषि अधिकारी दीपिंदर सिंह ने बताया कि गेहूं की खेती के लिए फॉस्फोरस तत्व की आवश्यकता होती है, जिसे पूरा करने के लिए किसान डीएपी खाद का उपयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि डीएपी खाद के विकल्प के रूप में किसान ट्रिपल सुपर फास्फेट, सिंगल सुपर फास्फेट और अन्य फॉस्फेटिक खादों का भी उपयोग कर सकते हैं।
मुख्य कृषि अधिकारी ने बताया कि ट्रिपल सुपर फास्फेट में डीएपी की तरह 46 प्रतिशत फॉस्फोरस तत्व होता है, और इसकी कीमत प्रति बोरी 1300 रुपए है, जबकि डीएपी की कीमत प्रति बोरी 1350 रुपए है। इसके अतिरिक्त बाजार में उपलब्ध अन्य फॉस्फेटिक खादें भी उपयोग की जा सकती हैं।
उन्होंने खाद विक्रेताओं को निर्देश दिए कि अपनी पॉस (पीओएस) मशीनों में खाद का स्टॉक नियमित रूप से अपडेट करें और यह सुनिश्चित करें कि मशीनों में दिखाया गया स्टॉक दुकानों पर उपलब्ध स्टॉक से मेल खाता हो, ताकि आवश्यकता के अनुसार भारत सरकार से डीएपी खाद की आपूर्ति की जा सके।
मुख्य कृषि अधिकारी ने सभी डीलरों को यह भी निर्देश दिए कि वे अपने लाइसेंस और आवश्यक दस्तावेज पूरे रखें और किसी भी प्रकार की लापरवाही से बचें। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को बेची जा रही किसी भी कृषि सामग्री का बिल प्रदान किया जाए और केवल आवश्यक सामग्री की ही बिक्री की जाए; किसानों को अनावश्यक वस्तुएं न दी जाएं।