मैं उस लड़के को बहुत अच्छी तरह जानता हूँ। हम स्कूल में सहपाठी और अच्छे मित्र भी रहे हैं। हम स्कूल में उसे इंडियन के नाम से भी बुलाते थे। पढाई में वह लड़का बहुत अच्छा था और स्कूल में खेल गतिविधियों में भी बेहतर था। यह अक्सर सनी देओल की इंडियन मूवी का डायलॉग बोलता था कि इंडियन हूँ मैं इंडियन। इसीलिए इसको हम इंडियन नाम से पुकारते थे। मुझे एक बार रास्ते में इंडियन मिला और पुराना सहपाठी मित्र देखकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई। जब मैंने उससे बात की तो मुझे महसूस हुआ कि वह दिमागी तौर पर कुछ अपसेट है। फिर तुरंत मेरे मन में यह भी विचार आया कि हो सकता है यह लड़का नशों का आदि हो गया हो जिसकी वजह से इसकी यह हालत हो गयी है। मैंने उससे उसकी इस हालत की वजह जाननी चाहि परन्तु उसने कुछ अपसेट तरीके से जवाब दिया कि यह बहुत लम्बी कहानी है छोड़ इस बात को और सुना घर में सब ठीक हैं। मैंने जवाब दिया कि ठीक हैं तू सुना। मेरे ऐसा पूछने पर उसने जवाब देने की बजाय मुझे दूकान से एक दूध का पैकेट लेकर देने की मांग की थी। मुझे उसकी हालत देखकर दुःख हुआ और मैं मन ही मन सोचने लगा कि मेरे मित्र ने मुझ से माँगा भी तो क्या एक दूध का पैकेट। मैं जल्दी में था तो मैंने मित्रता का फर्ज निभाने का प्रयास करते हुए अपनी जेब में जितने पैसे थे निकालकर उसके सामने किये परन्तु उसने इन पैसों में से केवल 50 रुपये निकाले जिससे मुझे यकीन हो गया कि इसकी हालत किसी मजबूरी की वजह से ऐसी हो सकती है। फिर मैं अपने रास्ते चला गया और वो अपने रास्ते। मुझे यह स्कूल टाइम से ही पता था कि वह एक छोटे से गाँव में अपनी माँ के साथ रहता है। उसके गाँव के कुछ लोगों से पता चला कि उसकी माता की मृत्यु हो गयी थी जिसकी वजय से यह दिमागी तौर पर अपसेट हो गया। यह पता चलने के बाद मैं अक्सर अपने इस पुराने मित्र को रास्ते में आते जाते समय खोजता रहता था। एक दिन मैं अपने ऑफिस से घर जा रहा था तो सड़क की उलटी तरफ एक लड़का जा रहा था जिसे देखकर मैंने सोचा कि शायद यह इंडियन ही होगा । नजदीक जाने पर मुझे पता चला कि यह इंडियन ही था। मैंने उसे अपने पास बुलाया और उसने मुझे गले लगाया। आज मैंने मिलने के बाद उसे दोबारा कुछ पैसे देने चाहे परन्तु उसने पैसे लेने से इंकार कर दिया और कहा कि तुम खुद दूकान पर जाकर मुझे एक दूध का पैकेट ले कर दो। जल्दी में होने के कारण मैंने उसे जबरदस्ती कुछ पैसे दे दिए और मित्रता का धर्म निभाने की सोच से उसे अपने दफ्तर का पता दे दिया। वह अक्सर मेरे दफ्तर में आकर बैठता था और हम स्कूल की पुरानी बातें करते रहते थे। मेरे दफ्तर के पास ही वेरका दूध का बूथ था जिसके चलते बहाने से दूध का पैकेट देकर मित्र की मदद भी हो जाती थी क्यूंकि मैंने बूथ मालिक को पहले ही बोल रखा था कि जब भी मेरा मित्र आये तो उसे जो चाहिए दे देना। परन्तु मुझे यह जानकार और भी हैरानी होती थी कि इंडियन हमेशा एक ही पैकेट दूध क्यों लेता है और वेरका के बूथ में जाने के बाद भी उसने कभी किसी और चीज की मांग क्यों नहीं की। एक दिन जब वो दोबारा मेरे दफ्तर आया तो मैंने उससे पूछा कि तुम एक ही दूध का पैकेट क्यों लेते हो कुछ और क्यों नहीं लेते तो उसने कहा कि मैंने सिर्फ दो वक्त की चाय पीनी होती है और ब्रेड मुझे कोई न कोई दे देता है। उसने यह भी कहा कि जब मुझे कोई नौकरी मिलेगी तो मैं तुम्हारे सारे पैसे वापिस कर दूंगा। यह सुनकर मेरी आँखें भर आयी। उसने यह भी बताया कि मैं शहर में ही रहता हूँ। जब मैंने पूछा कि फिर तुम अपने गाँव ऊना रोड की तरफ क्यों जाते हो तो उसने बताया कि मैं अपने ही गाँव में किसी के खेत में गेहूं काटने जाता था परन्तु अब मुझे कोई काम नहीं दे रहा। मैंने अपने कुछ जानकारों से इंडियन को काम दिलवाने की कोशिश की परन्तु फिर इंडियन कभी मेरे दफ्तर ही नहीं आया। शायद मेरे दफ्तर के पास वाला वेरका बूथ बंद हो गया था इसलिए नहीं आया होगा। उसके कुछ समय बाद ही मैंने अपना दफ्तर भी वहां से शिफ्ट कर लिया जिसकी वजय से फिर इंडियन मुझे नहीं मिल पाया। उसके पास कोई फोन भी नहीं था जो मैं उससे कोई संपर्क कर पाता। मैं पहले की तरह उसे रास्ते में आते जाते ढूंढ़ने लगा पर वो मुझे नहीं मिला। फिर कुछ दिन पहले शाम को मुझे इंडियन बजवाड़ा अड्डे पर मिला जब मैं दूकान से फल खरीद रहा था तो इंडियन अचानक मेरे पास आ गया। मैंने उससे पूछा कि क्या खाओगे तो उसने कहा कुछ नहीं तो उसने मुझ से फिर दूध के पैकेट की मांग की। आज भी मैंने उसे जबरदस्ती कुछ पैसे दे दिए कि खुद ही खरीद लेना तो वो दूध की दूकान की तरफ चला गया। उस दिन के बाद मुझे वह नहीं मिला ।
कुछ दिन पहले मुझे पता चला की इंडियन ने कहीं से एक दूध का पैकेट चुराया है। इंडियन ने यह चोरी मजबूरीवश की होगी। परन्तु कभी कभी मजबूरियां इंसान को गलत काम करने के लिए मजबूर कर देती हैं। मैं किसी भी तरह से चोरी का समर्थन नहीं करता और न ही किसी अपराधी का पक्ष लेने का परन्तु मैं आज भी इंडियन की सच्चाई बताकर मित्रता का फर्ज अदा करने का प्रयास कर रहा हूँ।