गरशंकर: 10 अक्टूबर: मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से, पूरी दुनिया 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाती है। प्रखंड स्तरीय संगोष्ठी में इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए पीएचसी पोसी के एसएमओ डॉ. रघबीर सिंह ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद से मानसिक रोगों से पीड़ित लोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है. इसके अलावा बच्चे भी इससे अछूते नहीं हैं। यूनिसेफ की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में करीब 14 फीसदी बच्चे भी डिप्रेशन में जी रहे हैं। कोरोना महामारी के बाद से मानसिक रोगों से पीड़ित लोगों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है। इसके अलावा बच्चे भी इससे अछूते नहीं हैं। यूनिसेफ की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में करीब 14 फीसदी बच्चे भी डिप्रेशन में जी रहे हैं इसलिए इस दिन को इतने बड़े पैमाने पर मनाने का मकसद लोगों में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता फैलाना है. हर साल इस दिन को मनाया जाता है. नए विषयों के साथ मनाया जाता है इस वर्ष की थीम ‘मानसिक स्वास्थ्य और भलाई को सभी के लिए वैश्विक प्राथमिकता बनाएं’ है।
कोविड -19 महामारी ने पुष्टि की है कि हमारे शारीरिक स्वास्थ्य और हमारे मानसिक स्वास्थ्य के बीच घनिष्ठ संबंध है। लेकिन फिर भी ज्यादातर लोग इस पर ध्यान नहीं देते। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। एक पहलू की उपेक्षा करने से दूसरे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है वयस्कों से लेकर स्कूल जाने वाले बच्चों तक को भी इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए इस समस्या को छिपाने की बजाय इस पर ध्यान देने की जरूरत है। नहीं तो आने वाले समय में स्थिति और खराब हो सकती है।
इस मौके पर दुनियाभर में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और लोगों को बताया जाता है कि मानसिक और शारीरिक रूप से कैसे स्वस्थ रहें. साथ ही तनाव में जी रहे लोगों की समस्याओं को जानकर उन्हें सही रास्ता दिखाने की कोशिश करते हैं। इस अवसर पर डॉ. मारिया, डॉ. हरपुनीत कौर, श्रीमती जोगिंदर कौर, संदीप सिंह, स्वास्थ्य कार्यकर्ता संजय लुंब, बलविंदर सिंह लैब टेक्निशियन सहित अन्य कर्मचारी व लोग मौजूद थे.