चंडीगढ़ : पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने एक शख्स के खिलाफ दायर रेप की FIR को रद्द करने का फैसला सुनाया। शख्स के खिलाफ नाबालिग पत्नी को प्रेग्नेंट करने और रेप के आरोप में उसके खिलाफ FIR दर्ज कराई गई थी।याचिकाकर्ता (आरोपी पति) ने IPC की धारा 376(2)(एन) और पोक्सो अधिनियम, 2012 की धारा 6 के तहत फरवरी 2023 में दर्ज FIR को रद्द करने की मांग करते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
याचिकाकर्ता ने बताया था कि नाबालिग लड़की (शख्स की पत्नी) ने 12 सितंबर, 2022 को अपनी मर्जी से मुझसे शादी की थी। उस समय वह केवल 17.5 साल की थी। मामला तब सामने आया जब शादी के बाद मेरी पत्नी प्रेग्नेंट हो गई। याचिकाकर्ता के मुताबिक, जब मेरी पत्नी 8 महीने की प्रेग्नेंट थी, तब उसे अचानक पेट दर्द हुआ। इसके बाद मैंने पत्नी को चंडीगढ़ के सेक्टर 16 में सरकारी मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल (GMSH) में एडमिट कराया।
डॉक्टरों को शक हुआ तो पुलिस को दी जानकारी : याचिका दायर करने वाले पीड़ित ने कहा कि मेरी पत्नी के नाबालिग होने का शक करते हुए डॉक्टरों ने उससे आधार कार्ड की कॉपी मांगी। शक सही पाए जाने पर डॉक्टरों ने पॉक्सो एक्ट की धारा 19 के तहत मामले की सूचना पुलिस को दी। इसके बाद, मेरी पत्नी से बिना उसकी सहमति के कुछ दस्तावेजों पर साइन करा लिया गया और मेरे खिलाफ FIR दर्ज कर दी गई। मेरी पत्नी को शिकायतकर्ता बनाया गया। इसके बाद मुझे गिरफ्तार कर लिया गया। पीड़ित ने बताया कि मेरी पत्नी ने फरवरी 2023 में बच्चे को जन्म दिया। लेकिन मार्च 2023 में नवजात की मौत हो गई इस बीच, पीड़ित की ओर से कोर्ट में जमानत याचिका दायर की गई, जिसे फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट, चंडीगढ़ ने खारिज कर दिया।
हाई कोर्ट ने मामले का लिया था स्वत: संज्ञान : पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया था। कोर्ट ने जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण (DLSA) को कानूनी सहायता वकील बुलाने के निर्देश दिए और साथ ही ये कहा कि आरोपी और उसके परिवार का बयान दर्ज किया जाए। बयान के बाद, कानूनी सहायता देने वाले वकील हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं.। बयान के दौरान सामने आया कि दोनों पक्षों में एक दूसरे को लेकर कोई दुर्भावना नहीं है और अगर FIR रद्द होती है, तो किसी को कोई आपत्ति नहीं है।