कुलदीप पठानिया बोले; प्रभाव में आकर दिया इस्तीफा, गलती भी स्वीकारीइ
स्तीफे के नेचर से पहले जगत सिंह नेगी की याचिका पर हो जाएगा फैसला
विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस पर दूसरी बार नहीं पहुंचे तीनों निर्दलीय विधायकए
एम नाथ। शिमला :राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की घटना के बाद 22 मार्च को विधायक के पद से इस्तीफा देने वाले तीन विधायक अब दल बदल निरोधक कानून के पेंच में फंस गए हैं। एक तरफ अपना इस्तीफा स्वीकार करवाने के लिए ये हाई कोर्ट गए हैं और दूसरी तरफ स्पीकर कुलदीप पठानिया के पास राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की याचिका पेंडिंग है। इसी याचिका पर शनिवार को पेश होने के लिए दूसरा मौका स्पीकर ने इन्हें दिया था, लेकिन तीनों निर्दलीय विधायक नालागढ़ से केएल ठाकुर, देहरा से होशियार सिंह और हमीरपुर से आशीष शर्मा पेश नहीं हुए। इसके बाद विधानसभा में मीडिया से बातचीत करते हुए स्पीकर कुलदीप पठानिया ने जो कहा, उससे साफ हो गया है कि अब इस्तीफे पर फैसला आने से पहले दल बदल कानून के आधार पर कार्रवाई हो सकती है और इन्हें विधानसभा से डिसक्वालीफाई किया जा सकता है। स्पीकर कुलदीप पठानिया ने कहा कि शनिवार को दूसरी पेशी में भी निर्दलीय विधायक नहीं आए हैं। हालांकि इस्तीफा स्वीकार करने वाले मामले में हाई कोर्ट में 28 मई को केस लगा है।
इसके बाद मई के आखिरी सप्ताह या जून के पहले हफ्ते में वह अपना फैसला सुना देंगे। इस बारे में दोनों पार्टियों को भी अवगत करवा दिया है। स्पीकर ने कहा कि निर्दलीय विधायकों ने भाजपा के प्रभाव में आकर इस्तीफा दिया था। नहीं तो नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर इनके साथ क्यों थे, भाजपा विधायक डाक्टर जनक राज और बलबीर वर्मा मेरे पास क्यों आए थे, जब विधायक किसी दल के प्रभाव में हो तो वह इंडिपेंडेंट नहीं रहता। मैं खुद दो बार इंडिपेंडेंट विधायक रहा हूं। इन विधायकों को एग्जामिनेशन के लिए बुलाया गया था, जिसमें इन्होंने खुद स्वीकार किया है कि इस्तीफा एक्सेप्ट होने से पहले इन्होंने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली। हाई कोर्ट कह चुका है कि स्पीकर के डोमेन में हस्तक्षेप कोर्ट का अधिकार क्षेत्र नहीं है। मैं अपना फैसला सुनाऊंगा जो जुडिशल स्क्रूटनी के अधीन होगा। कुलदीप पठानिया ने कहा कि इनका इस्तीफा वॉलंटरी था या नहीं, यह सवाल सेकेंडरी हो गया है। विधानसभा सचिवालय के पास राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की पिटीशन पेंडिंग है। इन्हीं तथ्यों को देखकर वह अपना फैसला देंगे। गौरतलब है कि तीनों निर्दलीय विधायकों ने 22 मार्च को विधानसभा स्पीकर को खुद उपस्थित होकर कैमरे के सामने इस्तीफा दिया था और 23 मार्च को ये सभी दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। इन्होंने भाजपा की टिकट पर उपचुनाव लडऩे का ऐलान भी कर दिया था। स्पीकर की ओर से दिए गए पहले नोटिस का जवाब इन्होंने 10 अप्रैल को दिया था, लेकिन जब इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआए तो ये हाई कोर्ट के जहां अब केस 28 मई को लगेगा, क्योंकि मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में फैसला विभाजित आया था।