गढ़शंकर, 18 अक्तूबर: डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट पंजाब ने 15 अक्तूबर को राज्य भर में हुए पंचायत चुनावों में कई जगहों पर हुई गुंडागर्दी का नोटिस लिया है और इसका आरोप पंजाब सरकार पर लगाते हुए पंजाब चुनाव आयोग को उचित प्रबंधों में विफल बताया है।
इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए डीटीएफ के प्रदेश अध्यक्ष विक्रमदेव सिंह, महासचिव महेंद्र कौड़ियांवाली, वित्त सचिव अश्वनी अवस्थी और संयुक्त सचिव मुकेश कुमार ने बताया कि डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट पंजाब और ज्वाइंट फ्रंट ऑफ टीचर्स एसोसिएशन पंजाब को एक मांग पत्र देकर चुनाव आयोग से वोटों की गिनती पूरी सुरक्षा व्यवस्था के तहत केंद्रीकृत केंद्रों पर कराने की मांग की गई थी। लेकिन इस मांग को नजरअंदाज करते हुए पंजाब चुनाव आयोग और पंजाब सरकार ने वोटों की गिनती उसी दिन शाम को बूथों पर कराने का फैसला किया और मामूली सुरक्षा व्यवस्था की। इस फैसले के चलते कई जगहों पर देर रात बूथों पर हिंसक घटनाएं हुईं, जिसमें ड्यूटी पर गए कर्मचारियों को अपनी जान बचाकर भागना पड़ा। सोशल मीडिया पर अलग-अलग बूथों पर हुई हिंसक घटनाओं का वीडियो देखने के बाद सभी कर्मचारियों में डर फैल गया है।
डीटीएफ उपाध्यक्ष राजीव बरनाला, जगपाल बंगी, गुरप्यार कोटली, बेअंत फुलेवाला, हरजिंदर वडाला बांगर और रघवीर भवानीगढ़, संयुक्त सचिव कुलविंदर जोशन और जसविंदर औजला, प्रेस सचिव पवन कुमार, सहायक वित्त सचिव तजिंदर सिंह और प्रचार सचिव सुखदेव डानसीवाल ने कहा कि इस बार चुनाव प्रबंधों में कमियां बड़े स्तर पर थीं। पहले चुनाव ड्यूटी पर बुलाए गए कर्मचारियों को चुनाव से एक दिन पहले दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक मतदान केंद्रों पर भेजा जाता था, जबकि इस बार रात 8 बजे तक भी चुनाव सामग्री नहीं उपलब्ध कराई जा सकी।
कई स्थानों पर चहेतों को चुनाव ड्यूटी से छूट देना बड़े पैमाने पर चुनाव ड्यूटी में धांधली का भी प्रमाण है। चुनाव आयोग/प्रशासन की ओर से कर्मचारियों के भोजन की कोई व्यवस्था नहीं की गई। इसके चलते कई जगहों पर कर्मचारियों को पूरा दिन भूखे पेट काम करना पड़ा। चुनाव में प्रबंधन और सुरक्षा की कमी के कारण सभी कर्मचारियों में असुरक्षा की भावना लगातार बढ़ती जा रही है, जिसके कारण कर्मचारी चुनाव ड्यूटी को अपनी जान जोखिम में डालने जैसा मान रहे हैं। शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कर्तव्यों से मुक्त करने का दावा करने वाली पंजाब सरकार अपने कर्मचारियों को ड्यूटी के दौरान सुरक्षा प्रदान करने में पूरी तरह से विफल रही है। इसलिए संगठन के नेताओं ने पंजाब सरकार और पंजाब चुनाव आयोग के ध्यान में लाया कि अगर निकट भविष्य में चुनाव प्रबंधों और सुरक्षा की कमियों को दूर नहीं किया गया तो बड़े स्तर पर चुनाव ड्यूटी का विरोध किया जाएगा।