चंडीगढ़। अवैध कॉलोनियों में बिना एनओसी और बिल्डर के लाइसेंस के अब प्लॉटों की रजिस्ट्री 19 मई तक नहीं होगी। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू पर आधारित खंडपीठ ने वीरवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।
साथ ही पंजाब के मुख्य सचिव को हलफनामा दाखिल करने का आदेश भी दिया है। लुधियाना निवासी प्रेम प्रकाश ने एडवोकेट आयुष गुप्ता के माध्यम से याचिका दाखिल करते हुए बताया कि पंजाब अपार्टमेंट एंड प्रॉपर्टी रेगुलेशन एक्ट के तहत अवैध कॉलोनियों को पंजीकृत करने पर पाबंदी थी।
वन टाइम सेटलमेंट के दिए गए थे निर्देश
साल 2014 और फिर बाद में 2018 में वन टाइम सेटलमेंट स्कीम के तहत अवैध कॉलोनियों को पंजीकृत करने के लिए सरकार ने निर्देश जारी किए थे। यह तय किया गया था कि सब-रजिस्ट्रार ऐसी किसी संपत्ति को पंजीकृत नहीं करेंगे, जिसकी एनओसी नहीं होगी।
12 दिसंबर, 2019 को सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर एनओसी की बाध्यता हटा दी थी। इसे याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
याची ने अदालत में क्या कहा?
इसके बाद हाईकोर्ट ने आदेश पर रोक लगा दी थी। मामला काफी समय से विचाराधीन था। इसी बीच गत वर्ष सरकार ने फिर से एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए एनओसी की बाध्यता कुछ शर्तों के साथ फिर हटा दी। याची ने कहा कि इस प्रकार तो अवैध कॉलोनियों की पंजाब में बाढ़ आ जाएगी।
याची ने हाईकोर्ट से अपील की कि याचिका लंबित रहते पंजाब सरकार द्वारा पंजाब अपार्टमेंट एंड प्रापर्टी रेगुलेशन एक्ट में किए गए संशोधन पर रोक लगाई जाए।
हाईकोर्ट ने याचिका पर पंजाब के मुख्य सचिव को हलफनामा दाखिल करने का आदेश देते हुए यह स्पष्ट किया कि जो भी रजिस्ट्री पंजाब में होगी वह पंजाब अपार्टमेंट एंड प्रापर्टी रेगुलेशन एक्ट के तहत ही होगी।