पायलट का अनशन : कांग्रेस हाईकमान, गांधी परिवार और पंजे के निशान का चित्र बैनर में नही दिखा, बैनर में महात्मा गांधी का चित्र और वसुंधरा सरकार में हुए भ्रष्टाचार के विरुद्ध ‘’अनशन’’ का स्लोगन

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जयपुर : राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने आज पिछली भाजपा की वसुंधरा राजे सरकार के घोटालों और भ्रष्टाचार की जांच की मांग पर अनशन पर बैठे। लेकिन एआईसीसी प्रभारी की ओर से उनके इस कदम को पार्टी विरोधी करार दिए जाने पर पायलट खेमे ने रणनीति में बदलाव कर कांग्रेस हाईकमान, गांधी परिवार और पंजे के निशान मंच पर लगे बैनर में जगह नहीं दी। बैनर व पोस्टर पर सिर्फ महात्मा गांधी का चित्र और वसुंधरा सरकार में हुए भ्रष्टाचार के विरुद्ध अनशन का नारा दिया गया। देशभक्ति गीतों पर अनशन के दौरान पायलट ने मौन व्रत भी धारण कर रणनीति के तहत मीडिया के सवालों से बच निकले। इस अनशन और मौन व्रत के जरिए पायलट ने एक साथ कई मैसेज प्रदेश की जनता, कांग्रेस पार्टी और अन्य राजनीतिक पार्टियों में भी दे दिए हैं। इससे पहले सचिन पायलट ने प्रेसवार्ता में खुलकर कई तरह में गम्भीर आरोप अपनी ही कांग्रेस पार्टी की गहलोत सरकार पर लगाए थे।
सचिन पायलट ने शहीद स्मारक पर धरने के मंच पर बैकग्राउंड में लगे बैनर में गहलोत सरकार के खिलाफ अनशन की बात नहीं लिखी गई। ये पार्टी में रहकर विरोध जाने की उनकी रणनीति का एक हिस्सा माना जा रहा है। इसके जरिए पायलट ने गांधीवादी कहे जाने वाले मुख्यमंत्री गहलोत को सीधी चुनौती देते हए यह बताने की कोशिश की है, कि गांधीवादी अनशन तो पायलट खुद कर रहे हैं और यह पिछली वसुंधरा सरकार में हुए भ्रष्टाचार के विरुद्ध यह अनशन है, इसलिए कांग्रेस सरकार इसकी जांच करवाकर दोषियों को सजा दिलाए, यही मुख्य मांग है। जिसका वादा चुनाव से पहले गहलोत, पायलट और कांग्रेस नेताओं ने प्रदेश की जनता से किया था। कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पार्टी में भी यह मैसेज देने की कोशिश की गई है कि विपक्षी पार्टी बीजेपी के भ्रष्टाचार की जांच की मांग ही पायलट ने उठाई है, जो गलत नहीं है। ना ही इसे पार्टी विरोधी या अनुशासनहीनता माना जा सकता है। अपनी ही कांग्रेस सरकार में कांग्रेस विधायक और पूर्व डिप्टी सीएम को धरना और अनशन देना पड़ रहा है, यह बात भी पब्लिक तक पहुंच गई है, इसके जरिए गहलोत-वसुंधरा गठजोड़ और मिलीभगत के आरोपों को पायलट जनता के बीच स्टैबलिश करना चाहते हैं। पायलट कई बार भाषणों में सार्वजनिक मंच से भी कह चुके हैं कि 5 साल बीजेपी और 5 साल कांग्रेस की सरकार की परिपाटी पिछले 30 साल से चली आ रही है। इस परिपाटी को तोड़ना होगा। पायलट मैसेज देना चाहते हैं कि कांग्रेस सरकार रिपीट करानी है, तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियां अंदरखाने मिली हुई नहीं हैं यह मैसेज जनता में देना होगा। इसके लिए घोटालों और भ्रष्टाचार की जांच और कार्रवाई जरूरी है।
सचिन पायलट ने मौन व्रत धारण कर लिया है। एक दिन पहले प्रेस वार्ता में में खुलकर पायलट ने प्रदेश के सीएम अशोक गहलोत को टारगेट करते हुए उनके पिछली वसुंधरा सरकार के समय के बयानों के वीडियो दिखाए थे। साथ ही सवाल खड़े किए थे कि जनता और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मन में सवाल उठ रहे हैं कि गहलोत और वसुंधरा राजे में गठजोड़ और मिलीभगत तो नहीं है। क्योंकि गहलोत सरकार को लगभग साढ़े 4 साल हो चुके हैं। लेकिन पिछली वसुंधरा सरकार में हुए घोटालों और भ्रष्टाचार की जांच अब तक नहीं हुई है। पायलट ने मौन व्रत धारण कर जानबूझकर बहुत से सवाल अनसुलझे या बिना जवाब के जनता के बीच छोड़ दिए हैं। इससे पब्लिक में कई तरह की चर्चाओं और अफवाहों का दौर शुरू हो गया है। इसका सीधा-सीधा प्रेशर कांग्रेस पार्टी पर ही पड़ेगा, यह भी पायलट अच्छे से जानते हैं। दूसरा पायलट पार्टी की ओर से अनुशासनात्मक कार्रवाई से बचने के लिए भी अब किसी प्रकार का बयान अनशन स्थल पर नहीं देना चाहते हैं। क्योंकि एक दिन पहले प्रदेश प्रभारी रंधावा ने उनके इस स्टैण्ड को पार्टी विरोधी करार दे दिया है।
सचिन पायलट ने शहीद स्मारक को अनशन के लिए इसलिए चुना, क्योंकि यह देशभक्ति, बलिदान, त्याग और उत्सर्ग का प्रतीक स्थल है। यह हिंसा और आक्रोश की नहीं, त्याग और बलिदान की प्रेरणा देता है। धरना स्थल पर देशभक्ति गाने बजाए गए। जिन पर सचिन पायलट के समर्थकों ने नाचकर एक माहौल तैयार करने की कोशिश की है। पायलट के समर्थन में नारेबाजी भी की गई।
सचिन पायलट ने अनशन और धरनास्थल पर लगे बैनर-पोस्टर में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे या प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर रंधावा, सीएम गहलोत किसी की भी तस्वीर नहीं लगाई है। इसके जरिए पायलट ने कांग्रेस हाईकमान और प्रदेश नेतृत्व से अपनी नाराजगी और दूरी खुलकर जनता में बता दी है। साथ ही यह भी मैसेज देने की कोशिश की है, कि ये अनशन कांग्रेस के बैनर तले नहीं हो रहा, यह उनका व्यक्तिगत पॉलिटिकल स्टैण्ड है। यह भी मैसेज जा रहा है कि पायलट कोई नई पार्टी जॉइन कर सकते हैं या बड़ा फैसला विधानसभा चुनाव से पहले ले सकते हैं, जिससे कांग्रेस पार्टी को बड़ा डैमेज हो सकता है।
सचिन पायलट के अनशन में उनके समर्थक कार्यकर्ताओं को ही बुलाया गया है। विधायक और मंत्रियों को अनशन में नहीं बुलाया गया। सूत्र बताते हैं, क्योंकि पायलट जानते हैं पार्टी के भीतर रहकर लड़ाई लड़नी है तो सत्ता-संगठन में कुछ पावर हाथ में होना जरूरी है।
पायलट के समर्थक कार्यकर्ता जो अनशन में पहुंचे :कांग्रेस के पूर्व प्रदेश सचिव और सर्व ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष पंडित सुरेश मिश्रा, विप्र कल्याण बोर्ड अध्यक्ष महेश शर्मा, एनएसयूआई के पूर्व अध्यक्ष अभिमन्यू पूनियां, पूर्व मेयर ज्योति खण्डेलवाल, अजमेर उत्तर विधानसभा प्रत्याशी,एआईसीसी ओबीसी सेल के नेशनल कॉर्डिनेटर, अजमेर के पूर्व कांग्रेस जिलाध्यक्ष और पीसीसी सचिव रहे महेंद्र सिंह रलावता, पीसीसी के पूर्व प्रवक्ता और कांग्रेस सेवादल के पूर्व अध्यक्ष सुरेश चौधरी, पू्र्व पीसीसी सचिव राजेश चौधरी, प्रशांत सहदेव शर्मा, प्रदेश कांग्रेस सचिव गजेंद्र सांखला और महेंद्र खेड़ी, प्रदेश कांग्रेस मीडिया पैनलिस्ट किशोर शर्मा और सीताराम लाम्बा और विभा माथुर।

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