होशियारपुर/दलजीत अजनोहा : हमारे भवन की वास्तु हमारे जीवन में आने वाली हर बाधा को बड़ी सुगमता से दूर कर सकता हैं ऐसा मानना है अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वास्तुविद एवम लेखक डॉ भूपेंद्र वास्तुशास्त्री का। पासपोर्ट ओर विदेश गमन का सीधा सम्बन्ध हमारे भवन की वायव्य दिशा से है। कभी _कभी वायव्य कोण के वास्तु दोष विदेश जाना तो दूर की बात पासपोर्ट तक नहीं बनने देते हैं। वायव्य कोण भवन के अन्य सभी कोणों से ऊंचा हो, नीचा हो, कटा हुआ हो, बढ़ा हुआ हो, भूमि गत जल स्त्रोत हो, बेसमेंट, बंद हो, या किसी अन्य वजह से दूषित हो तो विदेश गमन का सपना कभी हक़ीक़त में नहीं बदलेगा। पासपोर्ट बनने या विदेश जाने में किसी भी प्रकार का कोई विध्न आ रहा है तो वायव्य कोण को दोष मुक्त करके अपने शयन कक्ष को वायव्य में स्थापित करें। वायव्य कोण के साथ आग्नेय कोण का संबंध घूमने फिरने, सेर _सपाटा, मोज _मस्ती से है तो आग्नेय कोण को भी वास्तु दोषों से मुक्त रखें। अगर किसी रहस्य को लेकर विदेश गमन करना है या लंबे समय तक विदेश में वास करना हो तो नेरीतय भी वास्तु सम्मत होना चाहिए। उपरोक्त तीनों कोणों के साथ ईशान कोण भी दूषित है तो विदेश जाने की कल्पना भी नहीं करनी चाहिए । अगर भूल वश चले भी जाते हैं तो विदेश में किसी गंभीर संकट का सामना भी करना पड़ सकता हैं। अतः सबसे पहले घर की वास्तु सुधारे फिर विदेश पधारें।