इम5 नाथ । बिलासपुर : केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शनिवार को बचत भवन बिलासपुर में राज्य में चल रही एनएचएआई की परियोजनाओं की प्रगति के संबंध में अधिकारियों की बैठक की। इसके बाद पत्रकार वार्ता में जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि प्रदेश में 25 नेशनल हाईवे का काम चल रहा है जिनकी कुल लंबाई 2,592 किलोमीटर है। इसमें से 785 किलोमीटर एनएचएआई, 1,238 किलोमीटर सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और 569 काम बीआरओ की ओर से किए जा रहे हैं।
नड्डा ने बताया कि एनएचएआई के अंतर्गत चार बड़े कार्य चल रहे हैं जिसमें से अधिकतम कार्य 2026 व 2027 तक पूर्ण हो जाएंगे और बाकी 2028 में होंगे। उन्होंने कहा कि किरतपुर-मनाली कॉरिडोर के लिए 7667 करोड़ आवंटित है, जिसमें 12 टनल 11.51 किलोमीटर का निर्माण होगा। किरतपुर मनाली फोरलेन का कुल आवंटन 9452 करोड़ है। इसमें 41 किलोमीटर की 28 टनल होगी। शिमला-मटौर फोरलेन के लिए 10,208 करोड़ का बजट है। इसमें 13.41 किलोमीटर की 15 टनल होंगी। पठानकोट-मंडी फोरलेन का कुल आवंटन 1088 करोड़ है और इसमें 13 टनल बनेंगी, जिनकी कुल लंबाई 10 किलोमीटर होगी।
उन्हीनों ने कहा कि ब्यास नदी में ड्रेजिंग का मुद्दा भी राज्य सरकार ने उठाया जाएगा, क्योंकि इससे फोरलेन परियोजनों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि नदियों में ड्रेजिंग को रोकने की पहली जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। नड्डा ने शिमला के भट्ठाकुफर में एनएचएआई अधिकारियों से मारपीट के मामले पर कहा कि यह चिंताजनक है। इस तरह की घटनाओं से एक तो देवभूमि संस्कृति को धक्का लगता है। दूसरा जिस सरकार में रक्षक की भक्षक हो जाए तो उससे क्या आशा की जा सकती है। जिनके हाथों में कानून की रक्षा का जिम्मा है, वे अपने हाथों में कानून ले ले। ये कैसी सरकार चल रही है, यह इसका जीता जागता नमूना है।
केंद्रीय मैन4 नड्डा ने बताया कि वह दो विषयों के बारे में मुख्यमंत्री से बात भी करेंगे और पत्र भी लिखेंगे। एक विषय जितने भी एनएचएआई के काम चल रहे हैं, उनको उद्योग से बाहर किया जाए क्योंकि उन्हें राज्य प्रदूषण बोर्ड की एनओसी हर साल लेनी पड़ती है, जिसके कारण काम धीमी गति से चल रहा है। इसके अंतर्गत स्टोन क्रेशर, तारकोल पिघलाने वाले यंत्र हॉट मिक्सर आते हैं। यह सब अस्थायी काम है और कुछ समय बाद बंद हो जाते हैं। दूसरा विषय ड्रेजिंग का है। ब्यास नदी के इर्द-गिर्द इसे लेकर काफी चिंता करने की आवश्यकता है और प्रदेश सरकार को इसके बारे जल्द से जल्द निर्णय लेना चाहिए। उन्हीनों ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में एक वातावरण बनाने का प्रयास किया जा रहा है कि केंद्र सरकार हिमाचल कि बारे में ध्यान नहीं दे रही है लेकिन गलती तो राज्य सरकार की है जो केंद्र से आए पैसे को खर्च नहीं कर पा रही है।
2021 से 2025 तक स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से ही आयुष्मान भारत स्वास्थ्य ढांचा मिशन के तहत 360 करोड़ 11 लाख रुपये प्रदान किए गए हैं, जिसमें से प्रदेश सरकार केवल 78 करोड़ ही खर्च कर पाई है। इस योजना के तहत प्रदेश में 73 ब्लाॅक लेबल पब्लिक हेल्थ यूनिट बनाए जाने प्रस्तावित हैं, जिनमें से छह ही बन पाए हैं जबकि 14 के टेंडर हुए हैं। आठ क्रिटिकल केयर यूनिट स्थापित होने हैं, जिसमें रोहडू, रिकांगपिओ, घवांडल, टांडा, मंडी अस्पताल व पांवटा साहिब शामिल हैं। प्रदेश को 15वें वित्तायोग से 521 करोड़ रुपये दिए गए हैं, जिसमें से केवल 128 करोड़ 62 लाख रुपये ही खर्च हुए हैं। उन्होंने कहा कि 25 मई को मुख्यमंत्री उनसे मिलने गए थे। उन्होंने जायका प्रोजेक्ट से पैसा दिलवाने का आग्रह किया था जिस पर 30 जून को 1138 करोड़ रुपये केंद्र ने मंजूर किए। इसमें से प्रदेश सरकार को 1024 करोड़ रुपये ग्रांट इन एड दिए गए हैं जबकि शेष राशि सस्ते लोन पर उपलब्ध करवाई गई है। नड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदेश को प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए तीन साल में एसडीआरएफ के तहत 1736 करोड़, एनडीआरएफ के तहत 1071 करोड़ और एसडीआरएफ के तहत 339 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं। हाल ही में गृह मंत्री ने पीडीआरआरएफ के तहत 2006 करोड़ रुपये दिए हैं।
उन्हीनों ने कहा कि बैठक में निर्णय लिया गया है कि फोरलेन प्रोजेक्टों को तय समयसीमा के भीतर ही पूरा किया जाएगा। कार्य की गुणवत्ता में कोई समझौता नहीं किया जाएगा। कहा कि समदो सड़क की वन मंजूरी राज्य सरकार को लेनी है। सब काम केंद्र सरकार पर नहीं छोड़ा जा सकता। कहा कि प्रदेश में आई आपदा हृदयविदारक है। भारत सरकार आपदा के समय राज्य के साथ दृढ़ता से खड़ी है। नड्डा ने कहा कि काजा-समदो सड़क की मंजूरी 2024 में मिल गई थी और यह काम बीआरओ कर रही है लेकिन राज्य सरकार अभी तक इसकी वन मंजूरी नहीं ले पा रही है। यदि यह मंजूरी जल्दी आ जाए तो काम जल्दी चलेगा। घुमारवीं- शतलाई सड़क के लिए 35 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं और 2026 तक यह सड़क अपग्रेड कर दी जाएगी। यह कार्य सीआईएफ के तहत करवाया जाएगा और जल्द इसका काम भी शुरू हो जाएगा।