गढ़शंकर, 3 दिसंबर : माहिलपुर के दिल्ली इंटर नेशनल स्कूल में पढ़ने वाली 4 वर्षीय बच्ची को इसलिए बाहर निकाल दिया कि उनके परिजनों ने स्कूल फ़ीस जमा नहीं कराई थी। इस बात की जानकारी मिलने पर बच्ची के परिजनों ने स्कूल के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए एसडीएम गढ़शंकर को दी है।
जानकारी के अनुसार पूजा रानी पत्नी ज्योति ब्रह्म सरूप बाली निवासी माहिलपुर जो एसडीएम कार्यालय गढ़शंकर में कार्यरत है ने एसडीएम को दी शिकायत में कहा कि उसकी चार वर्षीय बेटी प्रिशा दिल्ली इंटरनेशनल स्कूल माहिलपुर ब्राच की नर्सरी में पढ़ती है। उन्होंने कहा कि उन्होंने स्कूल में प्रवेश के समय अप्रैल में प्रवेश शुल्क और अन्य खर्चों का भुगतान किया था। उन्होंने बताया कि नवंबर 2024 में उन्हें स्कूल से फोन पर एक मैसेज आया जिसमें 41000 रुपये स्कूल फीस जमा करने को कहा गया और मेरे विरोध करने पर 27100 रुपये का मैसेज डाल दिया। उन्होंने कहा कि उसने स्कूल प्रबंधन से कहा कि उनके द्वारा किए गए भुगतान सहित सभी खर्च बताएं जाए तो स्कूल द्वारा कुछ नही बताया गया।
पूजा रानी ने बताया कि 27 नवंबर को जब वह अपनी बेटी को स्कूल छोड़कर वापस लौटीं तो स्कूल की एक महिला टीचर उनकी बेटी का हाथ पकड़कर स्कूल के गेट से बाहर निकाल दिया। उसने बताया कि उसने अभी अपना स्कूटर मोड़ा ही था कि उसे अपनी बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी और जब वह स्कूल के गेट पर पहुंची तो एक अन्य महिला कर्मचारी उसे बेबी बैग पकड़ा गई।
उसने बताया कि उसने बेटी को चुप कराया और जब वह दूसरे दिन स्कूल गए तो स्कूल प्रबंधन ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया। जिसकी शिकायत उन्होंने एसडीएम कार्यालय में की थी और जब उनकी शिकायत पर एसडी दफ्तर से कोई कार्रवाई नहीं हुई तो स्कूल प्रबंधन ने उसके विरुद्ध ही शिकायत दर्ज करवा दी। उसने मांग की है कि उक्त स्कूल के विरुद्ध कार्यवाही की जाए।
इस संबंध में स्कूल के एडमिन अधिकारी मंगत अग्निहोत्री से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मामला उनके ध्यान में हैं और इसका समाधान करने की कोशिश की जा रही है और जल्द ही बच्ची के परिजनों से मिलकर इसका समाधान निकाला जाएगा
इस संबंध में थानेदार बलवीर सिंह ने बताया कि मामले की जांच अभी चल रही है. अभिभावकों में बच्चे को स्कूल से बाहर निकालने का रोष तो होता ही है। उन्होंने कहा कि अभिभावकों द्वारा एसडीएम साहब को दिया गया आवेदन अभी तक उन्हें नहीं मिला है, दोनों पक्षों को दोबारा बुलाकर उचित कार्रवाई की जाएगी।
एडवोकेट रमन गुजराल : शिक्षा के अधिकार को लेकर किसी भी बच्चे के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21ए के अनुसार, एक स्कूली बच्चे को सुरक्षित और हानि रहित वातावरण में पढ़ने का अधिकार है। स्कूल संचालकों को ऐसा नहीं करना चाहिए, यह अपराध है।