अमृतसर: गृह मंत्री अमित शाह द्वारा संसद में बंदी सिंहों को लेकर दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि तीन दशकों से देश की जेलों में बंद सिख कैदियों के मानवाधिकारों की उल्लंघन किया गया है। एक संवैधानिक पदाधिकारी की इस तरह अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सिखों को पहले से ही लग रहा है कि उन्हें अपने ही देश में न्याय नहीं मिल रहा है और अब गृह मंत्री के संसद में दिए गए ताजा बयान ने एक बार फिर सिखों के मन पर गहरा आघात किया है।
एडवोकेट धामी ने कहा कि सरकार को भारत की आजादी के लिए सिखों के 90 फीसदी बलिदान को कभी नहीं भूलना चाहिए। जिस संसद में गृह मंत्री अपना बयान दे रहे हैं वह भी सिखों के बलिदान के कारण ही खड़ी है। हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि बंदी सिंहों की रिहाई की मांग संविधान के दायरे में है। केंद्र सरकार ने भी श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश गुरुपर्व के अवसर पर 2019 में अपनी अधिसूचना के माध्यम से इसे मंजूरी दे दी है। सरकार को अपना 2019 का नोटिफिकेशन लागू करना चाहिए। एडवोकेट धामी ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह का बयान उनकी ही अधिसूचना की भावना के बिल्कुल विपरीत और आश्चर्यजनक है।
शिरोमणि कमेटी अध्यक्ष ने कहा कि इस मामले पर मिलजुल कर चर्चा होनी है, जिसके लिए श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा गठित 5 सदस्यीय कमेटी ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का समय भी मांगा है। उन्होंने सरकार से सिख कैदियों के गंभीर मुद्दे पर बातचीत करने की अपील की।