चंडीगढ़ : पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा की अपने एक बयान को लेकर दर्ज एफआईआर को रद करने की मांग पर हाईकोर्ट ने पंजाब पुलिस को फटकार लगाई।
बाजवा की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट आर एस चीमा ने हाईकोर्ट को बताया कि इस मामले में बाजवा जांच में सहयोग कर रहे हैं, लेकिन पुलिस उन्हें बार-बार नोटिस भेज कर परेशान कर रही है, इतना ही नहीं उनके घर के बाहर 30 पुलिसकर्मी भेज दिए गए और ऐसे कहा जाने लगा कि अभी जांच में शामिल हो जाओ, यह पूरी तरह से गलत है।
बाजवा को बेवजह परेशान मत करें: हाईकोर्ट ने आज इस पर पंजाब सरकार को कहा कि वो बेवजह बाजवा को परेशान न करें। कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी रखते हुए कहा कि पुलिस जांच जारी रख सकती है। मामले की अगली सुनवाई 22 मई को होगी। बाजवा की ओर से दाखिल याचिका में एफआईआर को रद करने की मांग की गई है, जो भारतीय न्याय दंड संहिता की धारा 353 (2) और 197 (1)(डी) के तहत दर्ज की गई है।
यह धाराएं ऐसी बातों के प्रचार-प्रसार से जुड़ी हैं, जो राष्ट्रीय एकता को प्रभावित करती हैं या समाज में नफरत फैलाती हैं। एफआईआर का आधार 13 अप्रैल को प्रसारित एक टीवी शो में बाजवा का बयान बना, जिसमें उन्होंने पंजाब में बीते छह महीनों के दौरान हुए बम धमाकों और कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति पर सवाल उठाए थे।
मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया: बाजवा
बाजवा ने आरोप लगाया कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। उन्होंने कहा कि उनके वक्तव्य, जिसमें उन्होंने कहा था कि ’50 बम पंजाब पहुंच चुके हैं’ को गलत तरीके से प्रस्तुत कर राज्य सरकार ने इसे राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया।
उन्होंने दावा किया कि पंजाब की खुफिया पुलिस का इस मामले में दुरुपयोग हुआ है। बाजवा ने कहा कि उन्होंने राज्य पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे और उसे ‘निकम्मी’ कहा था, जिसकी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री भगवंत मान पर आती है, जो गृह विभाग भी संभालते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने इस आलोचना को व्यक्तिगत हमला मानते हुए राजनीतिक बदले की भावना से उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए।
याचिका में यह भी कहा गया है कि बाजवा नेता प्रतिपक्ष के रूप में कैबिनेट मंत्री के दर्जे पर हैं और आम आदमी पार्टी सरकार की नीतियों तथा कानून व्यवस्था पर लगातार सवाल उठाते रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि हाल के समय में पंजाब में हुए कई बम धमाकों और ग्रेनेड हमलों की जानकारी सबसे पहले उन्होंने ही सार्वजनिक की थी।