होशियारपुर/दलजीत अजनोहा : भवन की वास्तु हमारे जीवन में अत्यन्त ही महत्वपूर्ण प्रभाव रखती हैं भवन की वास्तु सही तो प्रभाव सही ओर वास्तु ग़लत तो प्रभाव भी ग़लत। लेकिन यह ग़लत बारी _बारी से सबको निगलने का मौका तलाशता है ऐसा मानना है अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वास्तुविद एवम लेखक डॉ भूपेंद्र वास्तुशास्त्री का। वास्तु का आधार दिशाओं के अनुसार निर्धारित है लेकिन कौनसा कोण दूषित होने पर कौनसे नंबर का व्यक्ति उस दोष के गुण धर्म को झेलेगा यह भी निर्धारित होता हैं। उदाहरण के तौर पर किसी इकाई में ईशान कोण दूषित है तो घर के बच्चे खास कर पहली संतान ओर चतुर्थ संतान वो भी पुरुष वर्ग की प्रभावित होती हैं। अग्नि कोण में वास्तु दोष है तो दूसरी संतान के साथ छ नंबर की संतान प्रभावित होगी खासकर महिला वर्ग की। वायव्य कोण के दोष तीसरी ओर सातवीं संतान के लिए ज्यादा दुःखदाईं साबित होते हैं। ओर नेरीतय के वास्तु दोष पांचवीं संतान के साथ पहली संतान ओर घर के मुख्या को चपेट में ले लेते है। उतर दिशा दूषित है तो महिला वर्ग ख़ासकर नव यौवना को प्रभावित करने है। दक्षिण के दोष सभी महिला वर्ग के साथ उम्रदराज को ज्यादा दुखदाई होते हैं। पूर्व दिशा पुरुष वर्ग में उम्रदराज लोगों को कष्ट दाई होती हैं। एवं पश्चिमी दिशा के दोष सभी पुरुष वर्ग को कष्ट प्रदान कर सकती हैं। आप अपनी स्थिति से यह भली भांति समझ सकते हैं कि आप के यहां कौनसी दिशा या कोण दूषित हैं। उस इकाई या दिशा दोष को तुरंत हटाने या सुधारने में ही भलाई है।