एएम नाथ। शिमला
…तो क्या, भाजपा ने राज्यसभा चुनाव की आड़ में ‘मिशन लोटस’ का खेल खेला है। ये सवाल, परिणाम घोषित होने के बाद तेजी से राजनीतिक हलकों में पूछा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक असल खेल राज्य में कांग्रेस की सरकार को गिराने का हो सकता है। इसकी बिसात राज्यसभा चुनाव में बिछाई गई।
स्तब्ध करने वाली बात ये रही कि भाजपा ने एक-दो नहीं, बल्कि 9 विधायकों का समर्थन जुटा लिया। चूंकि, बुधवार को विधानसभा में बजट पारित होना है। अब ये विधायक 28 फरवरी को विधानसभा में नहीं पहुंचते हैं तो सदन में कांग्रेस के पास 34 का आंकड़ा होगा। इसमें से दो विधायक अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के पद पर काबिज हैं।
चुनावी नतीजे के बाद सुक्खू सरकार के पास सरकार को बचाने की अग्निपरीक्षा आ गई है। विधानसभा में 35 का जादुई आंकड़ा करने का इंतजाम करना होगा, साथ ही ये भी पक्का करना होगा कि 34 का संख्या बल न घटे। क्योंकि, क्यास ये भी हैं कि भाजपा का मिशन अपने पाले के विधायकों की संख्या बढ़ाने का है।
राजनीतिक विश्लेषकों का ये भी मानना है कि ऐसे हालात पैदा करने से पहले कांग्रेस के विधायक अपनी सदस्यता को दांव पर लगाने का मन बना चुके होंगे। भाजपा भी यही चाह रही है कि 29 फरवरी को सुक्खू सरकार अल्पमत में आ जाए, इसके बाद विधानसभा को भंग करने की प्रक्रिया आगे बढ़ सके। ताकि लोकसभा चुनाव के साथ ही हिमाचल में विधानसभा का चुनाव करवाया जा सके।
राज्यसभा की वोटिंग के बाद विधानसभा में लंच के बाद सदन की कार्यवाही में 6 कांग्रेसी विधायकों समेत निर्दलीय विधायक भी नजर नहीं आ रहे थे। चूंकि क्रॉस वोटिंग की जानकारी राष्ट्रीय मीडिया में पहुंची। यहां से एक बात साफ हो गई थी कि भाजपा राज्यसभा का चुनाव जीतने को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। माना जा रहा है कि राज्य सभा की क्राॅस वोटिंग के बावजूद कांग्रेस विधायकों को निष्कासित करने में हड़बड़ाहट नहीं दिखाएगी, ताकि 29 को उम्मीद बरकरार रहे।
दरअसल, समूचे घटनाक्रम में कांग्रेस ने एक के बाद एक कई गलतियां की हैं। राज्यसभा के चुनाव की परंपरा है कि ये सर्वसम्मति से ही होता रहा है। इस बार भाजपा ने हर्ष महाजन को प्रत्याशी बनाया। हालांकि, हर्ष महाजन निर्वाचन की राजनीति से लंबे अरसे से बाहर रहे हैं, लेकिन राजनीति में चाणक्य माने जाते रहे हैं। कांग्रेस से भाजपा में एंट्री हुई थी, लेकिन कांग्रेस के रुष्ट विधायकों से संपर्क में रहे होंगे। कांग्रेस को हर्ष महाजन का नामांकन दाखिल होते ही सचेत हो जाना चाहिए था।
इसके बाद सुधीर शर्मा व राजेंद्र राणा के बगावती तेवर भी अनदेखे कर दिए गए। राजेंद्र राणा ने तो खुलकर ही ये बोल दिया था कि वो भाजपा में जा सकते हैं। सुधीर ने भी वीडियो बाइट में साफ-साफ संकेत दिए थे। इसके बावजूद सरकार के नुमाइंदों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
सरकार होते हुए भी भाजपा शिमला से कांग्रेस के विधायकों को बेहद ही आसानी से पंचकूला पहुंचाने में सफल हो गई, लेकिन इसकी भनक तक सरकार को नहीं लगी।
सवाल ये भी है कि भाजपा के लिए समूचे राजनीतिक घटनाक्रम का चाणक्य कौन बना। पर्ची से चुनाव जीते हर्ष महाजन को तो रणनीतिकार माना जाता है, लेकिन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. राजीव बिंदल भी कम नहीं आंके जा सकते। मंगलवार को सुबह से हर्ष महाजन व डाॅ. राजीव बिंदल नजर नहीं आए। चुनाव का परिणाम घोषित होने के बाद हर्ष महाजन व डाॅ. बिंदल एक साथ मीडिया के सामने पहुंचे।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर की मौजूदगी में डाॅ. राजीव बिंदल ने ही मीडिया से बात की। ऐसी भी संभावना जाहिर की जा रही है कि भाजपा ने डाॅ. राजीव बिंदल को प्रदेश अध्यक्ष की कमान ही मिशन लोटस को अमली जामा पहनाने के लिए दी थी।
भाजपा की अगली चाल क्या यह है…..राज्यसभा चुनाव की आड़ में मिशन लोटस, बहुमत पर संशय
Feb 27, 2024