गरशंकर : आमजन एवं गर्भवती महिलाओं के आहार में आयोडीन की कमी से होने वाले दुष्परिणामों एवं समस्त जागरूकता के लिए वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. रघबीर सिंह के नेतृत्व में आज स्वास्थ्य प्रखंड पोसी में प्रखंड स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. उप-केंद्रों और स्वास्थ्य कल्याण केंद्रों में विश्व आयोडीन की कमी दिवस बनाया गया था।
डॉ. रघबीर सिंह ने कहा कि शरीर की वृद्धि और विकास में आयोडीन तत्व का बहुत महत्व है। यदि दैनिक आहार में इसकी सही मात्रा नहीं ली जाए तो थायरॉयड ग्रंथि (गले की ग्रंथि) आकार में बढ़ जाती है, जिसे गण्डमाला कहते हैं। आयोडीन की कमी से शारीरिक विकास और मानसिक विकास में कमी आती है। गर्भवती महिलाओं के आहार में आयोडीन की कमी से गर्भपात या जन्म दोष और मृत जन्म का खतरा बढ़ जाता है। एक नवजात शिशु गूंगा, बहरा, शारीरिक रूप से विकृत, भेंगा हो सकता है।
डॉ. मारिया ने कहा कि समुद्र के पानी से तैयार नमक और समुद्री मछली इसके मुख्य स्रोत हैं। इसके अलावा दूध दही का भी दैनिक आहार में उपयोग करना चाहिए। सरकार ने बिना आयोडीन के नमक की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। छह महीने के भीतर खरीदे गए नमक का उपयोग करें। इसके कंटेनर को आग से दूर रखें या आग से नष्ट कर दिया जाएगा। इस पर इस अवसर पर डॉ. नवलदीप सिंह, एस. केवल सिंह, श्रीमती विनोद बाला एलएचवी, आशा कार्यकर्ता एवं लोग उपस्थित थे।