शिमला : भारतीय जनता पार्टी ने शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश में पार्टी नेता राकेश चौधरी और पूर्व मंत्री रामलाल मरकंडा को 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया। दोनों नेताओं ने विधानसभा उप चुनाव के लिए बतौर निर्दलीय दाखिल नामांकन पत्र को वापस नहीं लिया था। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राजीव बिंदल ने यहां जारी एक बयान में बताया कि मरकंडा और चौधरी को तत्काल प्रभाव से भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से 6 साल के लिए निष्कासित किया जाता है। पार्टी की तमाम कोशिशें तक तब नाकाम हो गईं जब दोनों नेताओं ने अपना नामांकन पत्र वापस नहीं लिया। नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 17 मई है।
कांग्रेस के छह विधायकों राजेंद्र राणा (सुजानपुर), सुधीर शर्मा (धर्मशाला), रवि ठाकुर (लाहौल-स्पीति), इंद्र दत्त लखनपाल (बरसर), चेतन्य शर्मा (गगरेट) और देवेंद्र कुमार भुट्टो (कुटलेहड़) ने पार्टी से बगावत कर 27 फरवरी को राज्यसभा के चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में मतदान किया था। इसके दो दिन बाद सभी छह विधायकों को पार्टी के मुख्य सचेतक द्वारा विधानसभा में उपस्थित रहने और कटौती प्रस्ताव एवं बजट पर सरकार के पक्ष में मतदान करने के लिए जारी व्हिप का उल्लंघन करने पर सदन से अयोग्य करार दिया गया। कांग्रेस के बागी विधायक बाद में भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने सभी बागियों को उनकी पूर्व की सीट से उपचुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया है।
कांग्रेस के बागी विधायकों को भाजपा से टिकट दिए जाने के बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में हारे और लाहौल स्पीति से तीन बार के विधायक एवं दो बार के मंत्री मारकंड अपने समर्थकों के साथ पार्टी छोड़ने वाले पहले नेताओं में थे। कांग्रेस द्वारा जिला परिषद अध्यक्ष अनुराधा राणा को यहां से उम्मीदवार बनाए जाने के बाद मरकंडा ने बतौर निर्दलीय पर्चा दाखिल किया और मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया। यहां से पाला बदलकर आए रवि ठाकुर को भाजपा ने अपना उम्मीवार बनाया है।
चौधरी 2022 के विधानसभा चुनाव में सुधीर शर्मा से हार गए थे। उन्होंने कांग्रेस से टिकट पाने की कोशिश की लेकिन राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी ने धर्मशाला के पूर्व महापौर देवेंद्र जग्गी पर भरोसा किया और इसके बाद चौधरी बतौर निर्दलीय मैदान में उतर गए। सुधीर शर्मा को 2012 और 2022 में जीत हासित हुई थी और उन्होंने 2022 के चुनाव में चौधरी को 3,285 मतों से मात दी थी।