नई दिल्ली: महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पारित हुआ जिसमें महिलाओं को चुनाव लड़ने के लिए 33% का आरक्षण का प्रावधान है। निचले सदन में दो तिहाई बहुमत से यह बिल पारित हुआ। मतदान पर्चियों के जरिए किया गया। सदन में बिल को लेकर पक्ष में 454 और खिलाफ में 2 मत डाले गए हैं।
एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए हो जाएंगी आरक्षित : यह कानून बनने के बाद लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। आरक्षण लागू होने के बाद लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 181 हो जाएगी। महिला आरक्षण कानून पहले 15 साल के लिए लागू होगा। जिसके बाद संसद की मंजूरी लेकर उसे बढ़ाया जा सकता है।
राहुल गांधी ने बिल का किया समर्थन, मोदी सरकार पर निशाना भी साधा : लोकसभा में बिल पास होने से पहले चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम पर अपनी बात रखी, उन्होंने इसका समर्थन किया। हालांकि, परोक्ष रूप से उन्होंने मोदी सरकार पर निशाना भी साधा। राहुल गांधी ने कहा कि मेरी नजर में एक चीज इस विधेयक को अपूर्ण बनाती है, मैं चाहता हूं कि इस विधेयक में ओबीसी आरक्षण को शामिल किया जाना चाहिए था।
उन्होंने कहा, “हर कोई इस बात का समर्थन करेगा कि यह हमारे देश की महिलाओं के लिए बहुत बड़ा कदम है। महिलाओं ने आज़ादी के आंदोलन में भी भाग लिया। लेकिन मेरे हिसाब से यह बिल अधुरा है क्योंकि इसमें OBC आरक्षण की बात नहीं है। इसमें दो बात नहीं है, पहली बात तो यह कि आपको इस बिल के लिए एक नई जनगणना और नया परिसीमन करना होगा। मेरी नजर में इस बिल को अभी से महिलाओं को लोकसभा और राज्यसभा में 33% आरक्षण देकर लागू कर देना चाहिए।”
अमित शाह का राहुल गांधी पर निशाना : गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी का नाम लिए बिना उन पर निशाना साधते हुए यह भी कहा कि ”कोई एनजीओ उन्हें चिट बनाकर दे देता है, उसे यहां पढ़ दिया जाता है। राजनीति के लिए लोग भाषण करते रहे, लेकिन मन से कल्याण करने का काम नरेन्द्र मोदी ने किया है।” शाह ने कहा कि राहुल गांधी ने सरकार के 90 सचिवों में से केवल तीन अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वर्ग से होने की बात कही। उन्होंने कहा, ”उनकी समझ वही जानें। लेकिन देश सचिव नहीं चलाते, सरकार चलाती है।” शाह ने कहा कि इस सरकार में 29 मंत्री ओबीसी समुदाय के हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के 85 सांसद (29 प्रतिशत) ओबीसी के, देश में पार्टी के 1358 में से 27 प्रतिशत विधायक ओबीसी के और 40 प्रतिशत विधान परिषद सदस्य इस वर्ग से हैं।
ओवैसी ने किया बिल का विरोध
इससे पहले AIMIM के प्रमुख असुदुद्दीन ओवैसी ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा कि मोदी सरकार केवल ‘सवर्ण’ महिलाओं के लिए प्रतिनिधित्व बढ़ाना चाहती है। इस बिल से ओबीसी महिलाओं और मुस्लिम महिलाओं के प्रतिनिधित्व पर असर पड़ेगा। यह महिलाओं को धोखा देने वाला बिल है।