होशियारपुर/दलजीत अजनोहा : हर व्यक्ति अपने जीवन में जो भी सम्मानजनक मुकाम हासिल करता है, उसके पीछे माता-पिता की दुआओं की अपार शक्ति होती है। मां का आशीर्वाद और उसकी ममता ही बच्चों को सफलता की राह दिखाती है। यह विचार कबड्डी की अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त रेफरी प्रो. डॉ. अमरीक सिंह ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि माता-पिता से मिली मेहनत, लगन, ईमानदारी और संकल्प की सीख ही बच्चों के सपनों को साकार करती है। डॉ. अमरीक सिंह ने अपने जीवन के अनुभव साझा करते हुए बताया कि स्कूल के समय से ही कबड्डी में रुचि रही और बाबा बोहड़ सरवन सिंह (महान महाराजा रणजीत सिंह अवार्डी) की प्रेरणा से उन्होंने तीन बार जूनियर नेशनल खेला और सिल्वर मेडल भी जीता। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उन्होंने सीनियर ग्रुप में ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी कबड्डी प्रतियोगिता में दूसरा स्थान प्राप्त किया। इसके अलावा उन्होंने बॉडी बिल्डिंग में मिस्टर यूनिवर्सिटी और मिस्टर पंजाब का खिताब भी जीता।
फिजिकल एजुकेशन में मास्टर डिग्री और बाद में पीएचडी प्राप्त करने के बाद उन्होंने संत प्रेम सिंह कर्मसर खालसा कॉलेज, बेगोवाल में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर सेवाएं दीं। वहां उन्होंने कबड्डी और एथलेटिक्स में कई खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया। एनएसएस प्रोग्राम ऑफिसर और एनसीसी कैप्टन के तौर पर भी उन्होंने छात्रों का मार्गदर्शन किया और दिल्ली में आयोजित टीएससी कैंप में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और चंडीगढ़ की एनसीसी टुकड़ी की अगुवाई की।
डॉ. अमरीक सिंह ने विश्व कबड्डी कप, ऑल इंडिया पुलिस गेम्स और पंजाब सरकार द्वारा आयोजित वर्ल्ड कबड्डी कप में बतौर रेफरी सेवाएं दीं। विश्व कबड्डी फेडरेशन के अध्यक्ष अशोक दास की अगुवाई में उन्होंने इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, मलेशिया, पेरू और इटली जैसे देशों में उत्कृष्ट रेफरी का खिताब भी हासिल किया। जून 2026 में इंग्लैंड में हुए विश्व कबड्डी कप में वे इंग्लैंड टीम के कोच रहे और टीम ने पहली बार सिल्वर मेडल जीता।
उनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ। पिता स्वर्गवासी सरदार जोगिंदर सिंह (सरकारी कर्मचारी) और माता सुरजीत कौर के संस्कारों ने ही परिवार को ऊँचाइयों तक पहुँचाया। उनके बड़े भाई मान सिंह राष्ट्रीय स्तर के बॉडी बिल्डर और पावर लिफ्टर रहे, जो डाक विभाग से माननीय पद पर सेवानिवृत्त हुए। एक भाई सेना में कर्नल पद से रिटायर होकर डिप्टी डायरेक्टर सैनिक कल्याण रहे, जबकि छोटे भाई प्रो. रणजीत सिंह भी कॉलेज में सेवाएं दे रहे हैं।
वर्तमान समय में डॉ. अमरीक सिंह, प्रिंसिपल डॉ. बलदेव सिंह ढिल्लों की अगुवाई में लायलपुर खालसा कॉलेज, कपूरथला में खेल विभाग के प्रमुख के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। हाल ही में वे इटली के बर्गामो शहर में आयोजित यूरोपियन कबड्डी चैम्पियनशिप कप (19-20 जुलाई) में बतौर चीफ टेक्निकल ऑफिसर सेवाएं निभाकर लौटे हैं।
इस उपलब्धि पर उन्हें राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी रिपुदमन कुमार सिंह, जिला कबड्डी एसोसिएशन के प्रधान जसविंदर पाल (स्टेट अवार्डी), सचिव पीटीआई चरणजीत सिंह, युथ वेलफेयर बोर्ड के प्रधान राजीव वालिया, कोच अमरजीत धामी, प्रिंसिपल अनूप वास, डॉ. जगसीर सिंह ब्राड़, डॉ. दलजीत सिंह खैरा, प्रो. कमल गुप्ता, जसवंत सिंह (फ्रांस), कुलविंदर सिंह (जर्मनी), कबड्डी कोच राम सिंह और अमेरिका से जोगिंदर थल सहित कई हस्तियों ने बधाई दी।
ऑस्ट्रेलिया से स्वर्ण सिंह घोलिया ने भी विशेष शुभकामनाएं भेजते हुए उन्हें ऑस्ट्रेलिया आने का न्योता दिया। इटली कबड्डी फेडरेशन के प्रधान सुखमंदर सिंह जौहल ने भी डॉ. अमरीक सिंह की सेवाओं को यूरोपियन कबड्डी चैम्पियनशिप के लिए सराहनीय और प्रेरणादायी बताया।