मानसून सत्र -मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष ने एक दूसरे पर आपदा प्रबंधन को लेकर किए शब्दी हमले : मुख्यंमत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा केंद्र सरकार कुछ दे चाहे नहीं, 26 सितंबर को राहत पैकेज की घोषणा करेंगे

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शिमला : विधानसभा के मानसून सत्र की राष्ट्रगान के साथ सदन की कार्यवाही शुरू हुई। जिसके बाद स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने सत्तापक्ष और विपक्ष के सभी सदस्यों का अभिनंदन करते हुए सभी सदस्यों से सदन की कार्यवाही के संचालन में सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि वह आशा करते हैं कि सात दिन तक चलने वाले इस सदन में नियम की परिधि में रहकर ही सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्य चर्चा करेंगे।उल्लेखनीय है कि यह चौदहवीं विधानसभा का तीसरा सत्र 25 सितंबर तक चलेगा। इसमें सात बैठकें होंगी। सदन में मुख्यंमत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि वे 26 सितंबर को राहत पैकेज की घोषणा करेंगे। केंद्र सरकार कुछ दे चाहे नहीं।
स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया बोले प्रश्नकाल को शुरू किया जा रहा है। इस पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि एक ओर बोला जा रहा है कि सदी की सबसे बड़ी त्रासदी से प्रदेश गुजर रहा है। ऐसे में सारा काम रोककर इस पर चर्चा होनी चाहिए। नियम 102 और नियम 67 के दोनों प्रस्तावों के भाव में फर्क है। 441 लोगों की ज़िंदगी चली गई है। यह आपदा नियमों की परिधि से हटकर है। संसदीय कार्यमंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि यह विषय हटकर है। आपदा पर चर्चा लगी हुई है। पिछले कल ही इस बारे में पहले ही जयराम ठाकुर को बताया जा चुका है। भाजपा का यह प्रस्ताव राजनीति से प्रेरित है। सरकार इस बारे में चिंतित है। नियम 102 में चर्चा करवाई जाए। जिस तरह से आपदा में अच्छा काम किया गया है, उसकी तारीफ पूर्व सीएम शांता कुमार ने भी की है। नीति आयोग और विश्व बैंक ने भी इसकी तारीफ है। विपक्ष स्थगन प्रस्ताव पर अड़ा हुआ है। स्पीकर नेता प्रतिपक्ष जयराम की ओर बोले – मैं आपकी भावना समझ गया। विषयवस्तु दोनों की एक है। यह मैंने निर्णय लेना है कि आपने लेना है। अगर ऐसी ही बात है तो प्रश्नकाल को सस्पेंड कर देते हैं और नियम 102 में चर्चा कर लेते हैं। वह इस नियम में ही इस चर्चा को शुरू करते हैं। मुख्यमंत्री ने नियम 67 के बजाय नियम 102 में प्रस्ताव रखा और प्रश्नकाल को निलंबित किया गया। इस पर विपक्ष ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि आपदा में 441 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। कुल्लू में लारजी प्रोजेक्ट को बहुत क्षति पहुंची है। प्रदेश के बिजली प्रोजेक्टों को 1000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री के वक्तव्य के बीच विपक्ष ने वाकआउट कर दिया। विपक्ष के बाहर जाने के बाद सीएम सुक्खू ने कहा कि आपदा के वक्त भाजपा के लोग कह रहे थे कि मानसून सत्र बुलाया जाए। आज ये सत्र में गंभीर नहीं है। सरकार ने नियम 102 के तहत प्रस्ताव दिया। इन लोगों के प्रस्ताव को भी अटैच किया गया है। इन्हें चर्चा में भाग लेना चाहिए। मगर ये गंभीर नहीं हैं। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि वर्तमान आपदा के कारण राज्य के संसाधन गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से भी मुलाकात की है। प्रदेश को एक राहत पैकेज की तुरंत आवश्यकता है। इससे पूर्व कभी ऐसी आपदा नहीं हुई। यह आपदा भुज भूकंप, केदारनाथ आपदा और जोशीमठ भूमि रिसाव से भी बड़ी है। इन्हीं की तर्ज पर हिमाचल की इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाना चाहिए। प्रदेशवासियों का धन्यवाद करते हैं, जिन्होंने बढ़-चढ़कर योगदान दिया। वह विभिन्न सरकारों का भी योगदान देने के लिए धन्यवाद करते हैं। एक व्यक्ति मेरे पास आया और बोला कि जीवन में कभी किसी को चाय नहीं पिलाई, उन्होंने भी योगदान दिया। वह इसका धन्यवाद करते हैं। भाजपा विधायकों ने तो एक महीने का वेतन अभी तक नहीं दिया है। बच्चों ने गुल्लक तोड़कर मदद की है। विपक्ष सदन में लौटा तो बोले कि अच्छा हुआ कि भाजपा विधायक प्रस्ताव पेश करने के समय आ गए।प्राकृतिक आपदा प्रभावितों के लिए प्रदेश सरकार विशेष राहत पैकेज लाएगी। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने विधानसभा में यह घोषणा की। सदन में आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का सरकारी संकल्प प्रस्तुत किया। मुख्यमंत्री ने विपक्षी विधायकों से भी संकल्प का समर्थन करने का आग्रह किया।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि मैं यह नहीं कह रहा कि मुख्यमंत्री की वजह से आपदा आई। यह प्रकृति का संकेत है। लंबे समय से कोताही हो रही है। प्रकृति ने सुधर जाने और संभल जाने का संकेत दिया है। मानसून खत्म नहीं हुआ। अभी भी सचेत रहने की जरूरत होती है। बरसात आने से पहले एक समीक्षा बैठक होती थी, जो मौसम के पूर्वानुमान के अनुसार अलर्ट किया जाता था। यह बैठक नहीं हुई। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि आठ जून को बैठक हुई है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि कहीं मीडिया में नहीं आया। बैकडेट से कर दिया होगा। आप नए दौर में व्यस्त रहे। बैठक हुई होती तो तैयारियां ठीक होंती। तंबू तब खरीदे, जब आपदा आई। विधायक ने तंबू मांगे तो नाचन में एफआईआर हुई। यह गलत है, उसे रद्द करना चाहिए।

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर लगता है तैयारी करके नहीं आए हैं। अगर केंद्र से मदद आई है तो पेपर सदन के पटल पर रखें। आपने किस चीज की मदद की है। केंद्र सरकार ने आपके वक्त का पैसा दिया है। इन्होंने एक किस्त एडवांस में दी। क्या हमें केदारनाथ की तर्ज पर विशेष राहत पैकेज मिला है। यह बात जयराम ठाकुर के यह कहने पर कही कि वह दिल्ली गए और केंद्र से मदद मिल रही है। सुक्खू ने कहा जयराम ठाकुर हमारे साथ दिल्ली चलें। अगर हमारे साथ नहीं तो खुद चलो। आप डबल ईंजन सरकार की बात करते थे। अधिकार लेने के लिए डरो मत। अगर हौसला नहीं है तो हमसे लो। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा जानकारी हमें सारी है। क्या यह सच नहीं है कि केंद्र ने यह नहीं कहा है कि इससे ज्यादा नहीं देंगे। यूपीए वन और टू ने क्या दिया। पारछू आया तो भी क्या मिला। सबसे ज्यादा मदद मोदी सरकार के वक्त में मिली। किसी की जिंदगी फंसी तो हेलिकॉप्टर दिये। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि अगर केंद्र ने ही सब कुछ करना है तो आप लोग किसलिए हैं।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर जयराम ने कहा किसी आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का कानूनी प्रावधान ही नहीं है। इस शब्द में उलझाने की ज़रूरत नहीं है। अनुपातिक दृष्टि से देखें। ज्यादा मदद मिली है। यूपीए के वक्त में कितनी मदद मिली है, इसे देखें। केंद्र से और मदद का मामला उठाया गया है। निचले स्तर पर पैसा नहीं मिल रहा है। पात्र लोगों को नहीं मिल रहा है। हमारा पुराना आदमी है, यह कहकर मदद दी जा रही है। प्रस्ताव में अगर संशोधन करते हैं। हम इसके साथ हैं। मुख्यंमत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि 2700 करोड़ रुपये की सड़कें मंजूर करने का जो मामला है। इन्हें तीन महीने देरी करवाई गई। इन सड़कों को कौन रुकवा रहा था।

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