एएम नाथ। शिमला : मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बुधवार को राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय टास्क फोर्स की दो दिवसीय बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में देशभर के क्षय रोग विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। हिमाचल प्रदेश दूसरी बार इस महत्वपूर्ण बैठक की मेजबानी कर रहा है। मुख्यमंत्री ने ‘मेरी टीबी की कहानी चरण-2’ पहल का शुभारंभ किया। इस पहल का उद्देश्य टीबी से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना और इस बीमारी के बारे में लोगों में जागरुकता पैदा करना है। इस अभियान के दूसरे चरण का शुभारंभ करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग में विभिन्न श्रेणियों के 2,700 पदों को भरने की प्रक्रिया जारी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि टीबी के मरीजों की सुविधा के लिए पिछले दो वर्षों में प्रारंभिक स्तर पर ही टीबी का पता लगाने के लिए राज्य में मॉलीक्यूलर परीक्षण सुविधाएं शुरू की गई हैं और पांच जिलों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस पोर्टेबल एक्स-रे मशीनें उपलब्ध करवाई गई हैं। शीघ्र ही इस सेवा का विस्तार शेष जिलों में भी किया जाएगा। इस बीमारी से ग्रसित मरीजों के लिए हिमाचल प्रदेश की अनुकूल जलवायु के महत्व के बारे में बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार हिमाचल के शुद्ध वातावरण को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में स्वास्थ्य पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य कर रही है। हिमाचल में प्रदेश सरकार टीबी उन्मूलन के लिए हरसंभव सहायता प्रदान कर रही है। राज्य में हर वर्ष लगभग 15,000 टीबी मरीजों का उपचार किया जा रहा है। इस बीमारी से निपटने में किए गए प्रदेश के प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया है।
राज्य सरकार ने नवीनतम चिकित्सा उपकरणों के लिए एम्स दिल्ली के साथ एक समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया है। टांडा मेडिकल कॉलेज और आईजीएमसी, शिमला में स्वास्थ्य सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है। डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ की कार्यप्रणाली में सुगमता लाने के लिए अस्पताल में अनुकूल वातावरण बनाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। 70 वर्ष से अधिक आयु के वृद्धजनों को विशेष स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता रहती है। प्रदेश सरकार वृद्धजनों के लिए घरद्वार के निकट चिकित्सा जांच सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए नई योजना शुरू करने पर विचार कर रही है। राज्य में कैंसर के मरीजों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश को 31 मार्च, 2026 तक हरित ऊर्जा राज्य के रूप में स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों के संचालन और नवीकरणीय ऊर्जा विकल्पों को बढ़ावा दिया जा रहा है और जिला सोलन के नालागढ़ में एक मेगावाट के हरित हाइड्रोजन संयंत्र की स्थापना की जा रही है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. धनीराम शांडिल ने कहा कि राष्ट्रीय टास्क फोर्स के प्रयासों के फलस्वरूप टीबी के बारे में सामाजिक दृष्टिकोण में काफी बदलाव आया है। उन्होंने निराश्रित बच्चों के कल्याण, उनकी शिक्षा, देखभाल और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आरंभ की गई मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर स्वास्थ्य सचिव एम सुधा देवी, एनएचएम मिशन निदेशक प्रियंका वर्मा, स्वास्थ्य सेवाएं निदेशक डॉ. गोपाल बैरी, राष्ट्रीय टास्क फोर्स के अध्यक्ष डॉ. अशोक भारद्वाज, केंद्रीय टीबी प्रभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. संजय कुमार मट्टू और डीडीजी-टीबी डॉ. उर्वशी सिंह उपस्थित रहे।