चंडीगढ़ : पंजाब विधानसभा के दो दिवसीय सत्र के पहले दिन जमकर हंगामा हुआ। इस दौरान सीएम भगवंत मान ने कहा कि राज्यपाल हमें सीधे तौर पर धमकी दे रहे हैं कि कि ये सत्र पूरी तरह से असंवैधानिक है। अगर ये सत्र किया गया तो हम इसकी शिकायत राष्ट्रपति को करेंगे। मान ने आरोप लगाया कि इससे पहले गवर्नर हमें 356 की धारा की धमकी दे चुके हैं।
राज्यपाल से विवाद के बीच मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एलान किया कि वे राज्यपाल के खिलाफ 30 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और सुप्रीम कोर्ट की सहमति से ही सदन में तीनों मनी बिल पेश किए जाएंगे। जिसके बाद स्पीकर ने दो दिवसीय सत्र को सर्वसम्मति से पहले दिन के आधे समय के बाद अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया। गौरतलब है कि सत्र शुरू होने से एक दिन पहले गुरुवार को राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने तीन वित्त विधेयकों को सदन में पेश करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।
विधानसभा सत्र की शुरुआत में सबसे पहले 41 दिवंगत शख्सियतों को श्रद्धांजलि दी गई। इसके बाद दोपहर साढ़े 12 बजे तक सदन को स्थगित कर दिया गया। सत्र दोबारा शुरू होने के बाद कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने सदन की वैधता पर सवाल उठाया। इस दौरान विधानसभा स्पीकर कुलतार सिंह संधवा ने कहा कि विधानसभा का सत्र पूरी तरह वैध है। उन्होंने कहा कि मेरे पास राज्यपाल का कोई पत्र नहीं आया है। इसके बाद प्रश्नकाल शुरू होते ही सदन में हंगामा शुरू हो गया। वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने कांग्रेस पर एसवाईएल बनवाने का आरोप लगाया। इसी बीच मुख्यमंत्री भगवंत मान सदन में पहुंच गए हैं। जीरो आवर शुरू हो गया है। कांग्रेस नेता प्रताप बाजवा ने फिर सदन की वैधता पर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा कि क्या इस मुद्दे पर चर्चा होगी, बरगाड़ी पर वादा पूरा नहीं किया। कुंवर विजय प्रताप ने अपने मुख्यमंत्री पर सवाल उठाए, शीतल अंगुराल दोबारा उठाये मसलों की की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की। उन्होनों ने कहा कि सरकार नशे के मुद्दे पर गुरुद्वारे जा रही और विधायक अपनी सरकार पर आरोप लगा रहे हैं। उन्हीनों ने संदीप पाठक को बर्खास्त करने की मांग की। मंत्री अमन अरोड़ा ने विधानसभा सत्र को वैध ठहराया। उन्होंने संबंधित नियमों का हवाला दिया। शिअद से मनप्रीत अयाली ने कहा कि नीले कार्ड रदद् किए जा रहे हैं। पात्र लोगों के दोबारा कार्ड बनाए जाएं। सुखविंदर सुक्खी ने कहा कि बाढ़ से हुए नुकसान का मुआवजा अभी तक नहीं मिला।
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को भेजे पत्र में कहा है कि यह सत्र राजभवन की बिना अनुमति बुलाया जा रहा है। ऐसे में तीन वित्त विधेयकों को पेश करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को चेतावनी देते हुए कि इसके बावजूद अवैध विधानसभा सत्र बुलाया गया तो वह इसकी रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजेंगे और उचित कार्रवाई पर विचार करने के लिए मजबूर होंगे। उधर, विपक्ष ने भी एसवाईएल, बढ़ते कर्ज और कानून- व्यवस्था पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान के नाम भेजे गए पत्र में राज्यपाल ने लिखा कि मुझसे 16वीं पंजाब विधानसभा के चौथे बजट सत्र के अधीन 20 अक्तूबर से दो दिवसीय विशेष सत्र में तीन वित्त विधेयक पेश करने की अनुमति मांगी गई है। यह वित्त विधेयक- दि पंजाब फिस्कल रिस्पांसिबिलीटी एंड बजट मैनेजमेंट (संशोधन) बिल 2023, दि पंजाब जीएसटी (संशोधन) बिल 2023 और दि इंडियन स्टांप (पंजाब संशोधन) बिल 2023 हैं। राज्यपाल ने लिखा कि वह अपने 24 जुलाई, 2023 और 12 अक्तूबर, 2023 के पत्रों में स्पष्ट कर चुके हैं कि इस तरह का सत्र बुलाना स्पष्ट रूप से अवैध है और विधानमंडल की स्वीकृत प्रक्रियाओं व अभ्यास और संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है। उन्होंने आगे लिखा कि चूंकि बजट सत्र समाप्त हो चुका है और इस तरह का कोई भी विस्तारित सत्र बुलाना निश्चित तौर पर अवैध है। ऐसे विस्तारित सत्रों के दौरान किया जाने वाला कामकाज भी गैरकानूनी और निरर्थक की श्रेणी में आता है। राज्यपाल ने यह भी लिखा कि बार-बार इस संबंध में पत्राचार के बावजूद सत्र बुलाने संबंधी असंवैधानिक कदम उठाना, जानबूझकर लिया गया फैसला प्रतीत होता है। राज्यपाल ने स्पष्ट किया कि इन कारणों से वह उपरोक्त तीन वित्त विधेयकों को पेश करने के लिए अनुमति नहीं दे रहे हैं।
राज्यपाल ने इसके साथ ही मुख्यमंत्री को यह सुझाव दिया कि- इस तरह की अनिश्चित प्रक्रिया को जारी रखने के बजाय आप नया मानसून/शीतकालीन सत्र बुलाने के कानूनी रूप से सही विकल्प का लाभ उठा सकते हैं। मैं दृढ़तापूर्वक आपको सुझाव देता हूं कि आप इस विकल्प का सहारा लें। यदि सरकार की इच्छा है कि विधानसभा सत्र बुलाया जाए, तो पारित किए जाने वाले विधेयकों समेत किए जाने वाले विशिष्ट कामकाज का एक एजेंडा या कार्यक्रम तैयार करके भेजना उपयुक्त होगा, जिसमें अनुरोध किया जाए कि उक्त व्यवसाय को निपटाने के लिए एक मानसून/शीतकालीन सत्र बुलाया जाए।