राज्यपाल को यह कहना शोभा नहीं देता कि ‘हिमाचल उड़ता पंजाब बन जाएगा : मुख्यमंत्री सुक्खू

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एएम नाथ । शिमला : हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य में मादक पदार्थों की समस्या पर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला की हालिया टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताते हुए सोमवार को कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को इस तरह के बयान देना शोभा नहीं देता।

राज्यपाल ने बृहस्पतिवार को राज्य में ‘सरकारी पुनर्वास केंद्रों की कमी’ पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी और चेतावनी दी थी कि यदि मादक पदार्थ की बुराई को खत्म करने के लिए तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो हिमाचल प्रदेश अगले पांच वर्षों में ‘उड़ता पंजाब’ बन जाएगा।

स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम के तहत मामलों की संख्या जिक्र करते हुए राज्यपाल ने कहा था, ”कुल्लू में रेड क्रॉस द्वारा संचालित केवल एक पुनर्वास केंद्र है। हम सुन रहे हैं कि सिरमौर जिले में एक पुनर्वास केंद्र स्थापित करने के लिए भूखंड की पहचान की जा रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं हो रहा है।।राज्यपाल ने कहा था कि राज्य में 2012 में एनडीपीएस अधिनियम के तहत तकरीबन 500 मामले आए थे, जो 2023 में 340 फीसदी बढ़कर तकरीबन 2200 हो गई।

सुक्खू ने आज यहां पत्रकारों से कहा, ”राज्यपाल एक संवैधानिक और गरिमापूर्ण पद पर हैं तथा हम उनका सम्मान करते हैं। लेकिन इस तरह के बयान देना उन्हें शोभा नहीं देता। हम सभी को हिमाचल प्रदेश के लोगों का सम्मान करना चाहिए। राज्य में मादक पदार्थों के इस्तेमाल को रोकने के लिए अपनी सरकार के प्रयासों का विवरण देते हुए, सुक्खू ने कहा, ”किसी भी पिछली सरकार ने मादक पदार्थों के खिलाफ इतना काम नहीं किया, जितना हमने किया है। स्वापक औषधि एवं मन: प्रभावी पदार्थ अधिनियम (एनडीपीएस) में अवैध तस्करी की रोकथाम, जो मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल अपराधियों को हिरासत में लेने में सक्षम बनाता है, हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के गठन के तीन महीने के भीतर पहली बार लागू किया गया।

उन्होंने कहा, ”मैं राज्यपाल को मादक पदार्थों के सेवन के खिलाफ उठाए गए कदमों से भी अवगत कराऊंगा और उन्हें यह भी बताऊंगा कि कई गैर-सरकारी संगठन इस दिशा में काम कर रहे हैं। पहली बार, सिरमौर जिले के पच्छाद उप-संभाग के कोटला बड़ोग में नशा निवारण केंद्र (राज्य स्तरीय मॉडल नशा मुक्ति और पुनर्वास केंद्र) खोला गया है।’

 

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