विजिलेंस ब्यूरो ने अमरूद घोटाले में बागबानी विकास अधिकारी गिरफ्तार

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मोहाली :  पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने आज मोहाली जिले के खरड़ और डेराबस्सी में तैनात रहे बाग़बानी विकास अफ़सर (एचडीओ) जसप्रीत सिंह सिद्धू को अमरूद घोटाले में गिरफ़्तार किया है।  ब्यूरो प्रवक्ता ने बताया कि आरोपी जेएस सिद्धू ने एक सितंबर 2023 को हाईकोर्ट से अंतरिम ज़मानत ले ली थी।
हालांकि ब्यूरो ने उसकी ज़मानत याचिका का विरोध किया था और हिरासती पूछताछ के लिए लम्बी और विस्तृत दलीलों के दौरान जवाब के तौर पर 3 हलफनामे/जवाबी हलफनामे दायर किये गये थे।
ब्यूरो ने सिद्धू के अन्य आरोपी लाभार्थियों के साथ सम्बन्ध दिखाते हुए कॉल रिकॉर्ड, अलग-अलग गवाहों के बयान, छेड़छाड़ किए गये और नकली दस्तावेज़ी रिकॉर्ड और गमाडा के समक्ष पेश की गई रिपोर्ट और राज्य के बाग़बानी विभाग के पास उसी रिपोर्ट की दफ़्तरी कॉपी के बीच अंतर को स्पष्ट तौर पर उजागर किया।
इसके अलावा, दफ़्तरी कॉपी में उक्त पौधों की दिखाई गई श्रेणी और गमाडा के समक्ष पेश की गई रिपोर्ट में दिखाई श्रेणी में भी अंतर था। प्रवक्ता ने बताया कि इसके उपरांत हाईकोर्ट ने 24 जनवरी को उसकी आगामी ज़मानत याचिका ख़ारिज कर दी। इसके बाद आरोपी एचडीओ फरार हो गया और ब्यूरो द्वारा उसे ढूंढने की कोशिशें की जा रही थी, जिसके चलते उसे मंगलवार को एसएएस नगर से गिरफ़्तार कर लिया गया। उन्होंने बताया कि आरोपी सिद्धू 2004 से 2019 तक लगातार पिछले 15 साल एचडीओ खरड़ के पद पर तैनात रहा और गमाडा द्वारा एक्वायर की गई ज़मीनों जैसे एयरोसिटी, आईटी सिटी, सेक्टर 88-89 आदि पर की जमीन पर मौजूद फलदार वृक्षों के मार्केट रेट का मूल्यांकन करने में शामिल था।
उन्होंने बताया कि विजिलेंस ब्यूरो द्वारा एयरोट्रोपोलिस सिटी के विकास के लिए गाँव भांखरपुर और एसएएस नगर में एयरपोर्ट रोड के साथ लगते कुछ गाँवों की एक्वायर की गई कृषि ज़मीन पर स्थित अमरूद के बाग़ों के लिए
मुआवज़े की आड़ में जारी किये गए लगभग 137 करोड़ रुपए के गबन से सम्बन्धित घोटाले का पर्दाफाश करने के उपरांत 2023 में एफआईआर दर्ज की गई थी। जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि कुछ लाभार्थी/जमीन मालिक, जिन्होंने अपनी ज़मीन पर
बाग़ के नाम पर लगे फलदार वृक्षों के मुआवज़ों का दावा किया, वे ग्रेटर मोहाली एरिया डेवलपमेंट
अथॉरिटी (गमाडा) के सम्बन्धित अधिकारियों/उच्च-अधिकारियों को जानते थे और उनको ज़मीन एक्वायर करने के साथ-साथ सम्बन्धित गाँवों, जहां ज़मीन एक्वायर की जानी थी, की पहले से जानकारी थी। इसके अलावा, वह यह भी जानते थे कि फलदार पौधों समेत वृक्षों सम्बन्धी मुआवज़े का मूल्यांकन एक्वायर की गई ज़मीन की कीमत से अलग दिया जायेगा।
इसके बाद इन व्यक्तियों या समूहों ने राजस्व विभाग, भूमि अधिग्रहण कलेक्टर (एलएसी), गमाडा, बाग़बानी विभाग आदि के सम्बन्धित अधिकारियों की मिलीभगत के साथ पहले से योजनाबद्ध तरीके से सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया।
हाईकोर्ट ने अलग-अलग आरोपी लाभार्थियों को कुल 72.36 करोड़ रुपए की रकम जमा करवाने का आदेश दिया है, जिसमें से अब तक 43.72 करोड़ रुपए जमा करवाए जा चुके हैं।

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