एएम नाथ। शिमला : हिमाचल प्रदेश पर लगातार बढ़ रहा कर्ज का बोझ इन दिनों राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोर रहा है. छोटे से पहाड़ी राज्य पर बढ़ते हुए कर्ज के बोझ के बीच पक्ष और विपक्ष के बीच भी जमकर वार-पलटवार हो रहा है.विपक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी कर्ज को लेकर सरकार पर निशाना साध रही है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार राज्य की इस आर्थिक बदहाली के लिए पूर्व भाजपा सरकार को दोषी करार देने में लगी है. इस सबके बीच हिमाचल प्रदेश विधानसभा में मानसून सत्र के दौरान अतारांकित प्रश्न के उत्तर में कर्ज के आधिकारिक आंकड़े सामने आए हैं.
भारत सरकार से 2 हजार 527 करोड़ रुपये का लोन : खुले बाज़ार से ऋण- 17 हजार 472 करोड़ रुपये, नाबार्ड से ऋण- 1 हजार 352 करोड़ रुपये , राष्ट्रीय आवास बैंक से ऋण- 10 करोड़ रुपये, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम से ऋण- 5 करोड़ रुपये , भारत सरकार से प्राप्त ऋण- 2 हजार 527 करोड़ रुपये, सकल ऋण राशि (1+2+3+4+5)- 21 हजार 366 करोड़ रुपये, ऋण अदायगी- 5 हजार 864 करोड़ रुपये, शुद्ध ऋण- 15 हजार 502 करोड़ रुपए
GPF की एवज में 2 हजार 810 करोड़ रुपयेका लोन : हिमाचल प्रदेश विधानसभा में एक प्रश्न की लिखित जानकारी का उत्तर देते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सुक्खू ने बताया कि राज्य सरकार के लोक लेखा के तहत सामान्य भविष्य निधि- GPF इत्यादि से भी लोन उपार्जित होता है. यह 1 जनवरी, 2023 से 31 जुलाई, 2024 तक 2 हजार 810 करोड़ रुपये उपार्जित हुए. राज्य सरकार के बजट से यह धनराशि विकासात्मक कार्य ऊपर खर्च हो रही है. इस संबंध में करसोग के विधायक दीपराज और जोगिंदर नगर के विधायक प्रकाश राणा ने सवाल किया था.