प्रकृति माँ की गोद से लुप्त हो चुके पौधों को पुनर्जीवित करने का एक प्रेरणादायक संकल्प दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा के संस्थापक एवं संचालक श्री आशुतोष महाराज जी की कृपा से लिया गया है। संस्थान के आश्रमवासियों द्वारा स्वामी गिरीधरानंद जी की देखरेख में लगभग 2 एकड़ भूमि में 800 दुर्लभ पौधों का रोपण किया गया है।
ये वे प्रजातियाँ हैं जो या तो पूर्णतः विलुप्त हो चुकी हैं या विलुप्त होने के कगार पर हैं। इन पौधों में कई ऐसी औषधीय प्रजातियाँ शामिल हैं, जिनके गुण मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी हैं।
स्वामी गिरीधरानंद जी ने कहा:
“जो पौधे कभी हमारी धरती की शान थे, वे आज हमारी यादों में भी नहीं बचे हैं। हमारा प्रयास है कि प्रकृति की उस खोई हुई पूँजी को फिर से जीवन दिया जाए – ताकि पर्यावरण संतुलन बहाल हो और मानवता को इसका लाभ मिल सके।”
इस परियोजना में फालसा, अगरवुड, केला, खजूर, धाऊ, कटहल, करीर, नीम, कीकर, बोहड़, सुहांजना और महुआ जैसे विलुप्तप्राय पौधों को शामिल किया गया है। इनमें से कई पौधे औषधीय गुणों से भरपूर हैं, वहीं कुछ प्रजातियाँ हमारी भारतीय संस्कृति, परंपराओं और आध्यात्मिक धरोहर की भी प्रतीक हैं — जैसे रुद्राक्ष, बेल, चंदन, हरड़ और अमलतास, जो धार्मिक अनुष्ठानों और आयुर्वेद में विशेष स्थान रखते हैं।
लोगों के भ्रमण हेतु बीच में सुंदर रास्ते बनाए जाएंगे ताकि वे इस विलुप्त हो चुकी धरोहर को समीप से देख सकें। कुछ समय पश्चात इन सभी पौधों को संस्थान की नर्सरी में सम्मिलित किया जाएगा।
यह प्रयास न केवल पर्यावरण को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि समाज के लिए भी कल्याणकारी सिद्ध होगा। स्वामी जी ने इस पहल को “एक आध्यात्मिक और सामाजिक आंदोलन” बताया।