शराब पीकर गाड़ी चलाई तो बजने लगेगी खतरे की घंटी

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सोलन। तेजी से विकसित हो रहे भारत में हर दिन ऑटो मोबाइल सेक्टर में नई तकनीक से अपडेट होने का अवसर मिल रहा है। ऑटो मोबाइल सेक्टर में अब जल्द ही एक ऐसी तकनीक लॉन्च होने जा रही है, जिससे आपकी सुरक्षा के साथ-साथ आसपास चल रहे वाहनों में सवार लोगों की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सकेगी।
शूलिनी विश्वविद्यालय सोलन हिमाचल प्रदेश के एक प्रोफेसर ने नवाचार से एक सेंसर एमक्यू-3 की मदद से सुरक्षा फीचर तैयार किया है, जिसकी मदद से शराब का सेवन करने के बाद गाड़ी चलाने पर यह चेतावनी देगा। गाड़ी चलाने वाले व्यक्ति के साथ-साथ सड़क पर आसपास चलने वाले लोग भी इससे सावधान हो सकेंगे और उचित दूरी में चल कर खुद को सुरक्षित कर सकेंगे।
सिस्टम का नाम एंटी ड्रंक एंड ड्राइव
शूलिनी विश्वविद्यालय के शोधकर्ता प्रोफेसर बृज भूषण शर्मा ने इस शोध को कई महीनों की रिसर्च के बाद पूरा कर लिया है। वाहन सुरक्षा बढ़ाने और सड़क दुर्घटनाओं से निपटने के लिए तैयार इस महत्वपूर्ण नवाचार का उन्होंने 20 सालों के लिए पेटेंट करवा लिया है और अब भारतीय बाजार में इसे ओपन ऑक्शन के लिए खुला छोड़ दिया है।
यह पेटेंट नशे में गाड़ी चलाने को रोकने के लिए उन्नत किस्म के सांस विश्लेषक पर आधारित शोध है। इस प्रोजेक्ट को प्रोफेसर ने एंटी ड्रंक एंड ड्राइव सिस्टम नाम दिया है, जिसे आर्डियोनो यूनो आर-3 माइक्रो कंट्रोलर के उपयोग से विकसित किया गया है।
माइक्रो कंट्रोलर के साथ-साथ इसमें एक एमक्यू-3 गैस सेंसर मॉड्यूल है, जो अल्कोहल को आब्जर्व करने के बाद पैनल को कमांड देगा और अलार्म व लाइटें चलना शुरू हो जाएंगी। सेंसर एक निश्चित सीमा (1000 पीपीएम यानी पार्टिकल पर मिनट) से अधिक अल्कोहल के स्तर का पता लगाता है, तो यह आर्डियोना माइक्रो कंट्रोलर को एक संकेत भेजता है। फिर इस सिग्नल वाहन पर लगी एलईडी लाइट सक्रिय हो जाती है।
इससे सड़क पर चलने वाले लोगों के साथ साथ पैदल चल रहे लोग भी सावधान हो सकेंगे। इससे अनेकों संभावित दुर्घटनाओं को रोक कर कई लोगों की जान को बचाया जा सकता है।
ऑटो मोबाइल कंपनियां कर सकती हैं अडॉप्ट
इस शोध को बनाने में शोधार्थी प्रो. बृज भूषण शर्मा ने दो कंपोनेंट का इस्तेमाल किया है। हालांकि, इसके उपयोग का अब ऑटो मोबाइल कंपनियों अडॉप्ट कर सकती है, जिन्हें इसकी लाइट के लिए अनुमति लेनी जरूरी होगी और उस अनुमति के बाद वह इस फीचर को अपने वाहनों में इंस्टॉल कर सकेंगे।
प्रोफेसर ने बताया कि इससे पहले भी कुछ वाहनों में ड्रंक एंड ड्राइविंग के बचाव के लिए कुछ शोध हुए हैं, जिनमें इंजन बंद होना पाया जाता था, लेकिन यह शोध बिल्कुल नवीन सुविधा देता है। इस उपकरण को तैयार करने के लिए उन्हें 2500 रुपये के माइक्रो कंट्रोलर व 200 रुपये के सेंसर व एलईडी लाइट की ही जरूरत पड़ी थी।
उपकरण को तैयार करने में केवल तीन हजार रुपये तक का खर्च हुआ था, जिसे व्यापक स्तर पर बनाया जाए तो इसकी कीमत आधी से भी कम हो सकती है और यह लाइफ सेविंग उपकरण कई लोगों की जान बचा सकेगा।
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