केंद्र की योजनाएं और सहयोग ही हिमाचल बढ़ पा रहा है आगे , बजट में कटौती से विकास का लक्ष्य हासिल करना चाह रही है सरकार
आम आदमी तो दूर मंत्रियों की बातों को भी अनदेखा किया गया, सरकार के लोग कहते हैं कांग्रेस में आओ और कमीशन दो तब होगा भुगतान
एक तरफ़ कहते हैं आत्मनिर्भर बनाएँगे दूरसरी तरफ़ कहते हैं कि श्रीलंका जैसे हैं प्रदेश के हाल, सुख के नाम से योजनाएं बन रही है लेकिन किसी को सुख की अनुभूति नहीं हो रही है
एएम नाथ। शिमला :
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि जब सराकर को पुराना बजट ही पढ़ना था तो इस बजट सत्र की आवश्यकता ही क्या थी। यह दुःखद है कि मुख्यमंत्री झूठ बोलने की परिपाटी को सरकार में भी जारी रखना चाहते हैं। बजट में उम्मीद थी कि सरकार अपनी गारंटियों पर भी विचार करेगी। पूर्व बजट में घोषित नौकरियों की बात करेगी लेकिन इनका ज़िक्र तक नहीं आया। 22 लाख 40 हज़ार से ज़्यादा महिलाएं आज तक अपनी 1500 रुपए का हक़ माँग रही हैं।
इस बजट में आम आदमी की उम्मीदों को तो छोड़ दीजिए सरकार में मंत्री रहे बड़े-बड़े नेताओं की माँगों और सुझावों को भी अनदेखा किया गया। आज हिमाचल में चाहे लोगों के पीठ का बोझ उतारना हो य पर्यटकों को प्रदेश में लाना, इसके लिए सड़कों की आवश्यकता होती है। इस बजट में सड़कों के निर्माण और रख रखाव का भी ध्यान नहीं रखा गया। क्या इसी तरह के बजट से हिमाचल को सशक्त बनाया जा सकता हैं? इस बजट ने में न दिशा है और न ही दूरदर्शिता। सरकार ने दस विजन की बात की है लेकिन उसके लिए बजट और प्लान का ज़िक्र तक नहीं है। सरकार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बजट सरकार की साख होती है ज़ुबानी जमाखर्च नहीं।
जयराम ठाकुर ने कहा कि इस समय प्रदेश में विकास के जो भी कार्य चल रहे हैं, वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के कारण ही है। अगर कांग्रेस सरकार के भरोसे ही प्रदेश होता तो आज विकास की उल्टी राह पर चल रहा होता। इसके बाद भी सरकार केंद्र सरकार के लिए धन्यवाद का एक शब्द नहीं कहती है।
इस सरकार के आने के बाद से ठेकेदारों के बिलों का भुगतान तक नहीं किया गया। लोन की किश्ते न चुकाने के कारण कई ठेकेदारों की मशीनें तक नीलाम हो गई। सरकार में बैठे लोग कहते है कि कांग्रेस में आ जाओ और कमीशन दे पेमेंट निकलवा दूंगा। आज तक प्रदेश में इस तरह के काम नहीं हुए थे। क्या कमीशन दो और पेमेंट लो ही व्यवस्था परिवर्तन है।
बजट की बात करें तो विकास के मुख्य निर्माण कार्य, निवेश एवं सहायता अनुदान (कैपिटल एसेट) के मदों के अन्तर्गत खर्च वित्तीय वर्ष 2022-23 के 5310 करोड़ से घटाकर 2023-24 में 4726 करोड़ कर दिया। इसी प्रकार निवेश में ख़र्च 423 से कम करके 228 करोड़ कर दिया। ग्रांट इन ऐड फॉर कैपिटल एसेट्स अन्तर्गत होने वाले व्यय 1376 करोड़ से कम करके 779 करोड़ ही रह गया है।
इसी प्रकार मैटेरियल सप्लाई में होने वाले खर्च को 466 करोड़ से कम करके 428 करोड़ और मशीनरी और इक्विपमेंट में मद में होने वाले 216 करोड़ के बजट को मात्र 90 करोड़ ही रह गये हैं। सुक्खू सरकार ने 2023-24 में 5506 करोड़ और वित्तीय वर्ष 2024-25 में 5507 करोड़ रुपए ही लोन रीपेमेंट के लिए रखे गये हैं। हमने 10640 करोड़ रुपए का बजट लोन रीपेमेंट लिए राख गया है।
एक्साइज पॉलिसी के नाम पर भी बोला झूठ
जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार ने नई शराब पॉलिसी लाई और 40 परसेंट के लाभ की बात की गई थी। अब तो आंकड़े भी आ गये हैं। सरकार के आँकड़ों से यह साफ़ हो गया है कि सरकार ने झूठ बोला और एक्साइज को लाभ के बजाय नुक़सान पहुंचाया। इस सरकार ने इस पॉलिसी के ज़रिए कुछ ठेकेदारों को ही लाभ पहुंचाया है। इस वित्तीय वर्ष में ठेकेदारों द्वारा शराब की लिफ़्टिंग भी घटी है। सरकार किसी भी विभाग को सुचारू रूप से चलाने में नाकाम है।