एएम नाथ। शिमला : मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा है कि सरकार ऐसे पदों का अध्ययन कर रही है, जहां पर एचएएस अधिकारी ज्यादा अच्छे ढंग से सेवाएं दे सकें। कहा कि एसडीएम स्तर के एचएएस अधिकारियों को भी राज्य सचिवालय में तीन-चार महीने बैठाया जाएगा, जिससे वह कामकाज को ठीक से जान सकें।
इससे उनकी कार्यशैली में और सुधार होगा। सुक्खू ने कहा कि प्रदेश के अधिकारी ईमानदारी से काम करते हैं, यह बात सही है, मगर सबसे बड़ा भ्रष्टाचार देरी है। एक फाइल को आगे करने में 5 से 7 दिन लग जाएं तो उससे नुकसान होता है।
इस दिशा में सुधार करने की कोशिश की गई है। भविष्य में कानून में और बदलाव किए जाएंगे। मुख्यमंत्री रविवार देर शाम पीटरहॉफ शिमला में एचएएस अधिकारियों के संगठन के सम्मेलन में संबोधित कर रहे थे। एसोसिएशन के आह्वान पर एचएएस अधिकारियों ने भी बिजली पसब्सिडी छोड़ दी। इससे सीएम को भी अवगत करवाया। मुख्यमंत्री ने एचएएस अधिकारियों को 4-9-14 का स्केल देने के मामले में कहा कि इस संबंध में वह कमेटी से रिपोर्ट मांगेंगे। उसके बाद इसका समाधान निकाला जाएगा।
कहा कि 30-40 साल पुराने कानून से हिमाचल प्रदेश में व्यवस्था परिवर्तन नहीं हो सकता है। राज्य सरकार इस संबंध में रोज नए निर्णय ले रही है। इसमें अधिकारियों को सहयोग करने की जरूरत है। यह भी कहा कि हिमाचल प्रवेश में आईएएस अधिकारी और एचएएस अधिकारी राज्य सरकार को आगे ले जाने में बेहतरीन कार्य कर रहे हैं, मगर उन्होंने आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों की संख्या नहीं बढ़ाने का निर्णय इसलिए लिया है कि राज्य पर अनावश्यक बोझ न रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि बद्दी को एशिया का सबसे बड़ा फार्मा हब कहा जाता है मगर 100 करोड़ रुपये का ही जीएसटी मिलता है। ऐसे में उद्योगों को लगाने की दिशा में अधिक ठोस नीति की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पिछले साल उन्होंने 58000 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था, मगर उसमें 6000 करोड़ का होल पाया गया यानी कि इतना राजस्व इकट्ठा नहीं हो सका।