चंडीगढ़, 25 मार्च: चंडीगढ़ से सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी द्वारा संसद में सवालों के जवाब में चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड की पिछले 10 वर्षों की कार्यप्रणाली को लेकर महत्वपूर्ण खुलासे हुए हैं। जिसके अनुसार इन वर्षों के दौरान हाउसिंग बोर्ड द्वारा जहां 6468 इमारतों को नोटिस जारी किए गए, वहीं इनमें से 223 भवनों को गिराने करने की कार्रवाई की गई।
सांसद तिवारी के सवालों का जवाब देते हुए, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा है कि चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड द्वारा 1 जून, 2014 से 1 मार्च, 2025 तक 6468 इमारतों को नोटिस जारी किए गए थे, जिनमें से केवल 223 इमारतों को ही गिराया गया है, जो कि गिराने के नोटिस का लगभग 3.44 प्रतिशत है। इसी प्रकार, पिछले 10 वर्षों में 3.72 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला गया है, जो सालाना औसतन लगभग 37.2 लाख रुपये बैठता है।
उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि इन नोटिसों को भेजने का उद्देश्य लोगों को परेशान करना, धमकाना और यहां तक कि उनसे किराया वसूलना था। हालांकि, इस दौरान 35 मकान मूल दावेदारों को वापस आवंटित कर दिए गए हैं।
इसी प्रकार, केंद्र सरकार ने भी लोगों को माफी राहत देने के लिए कोई योजना नहीं बनाई है। जिस पर जवाब में कहा गया है कि चंडीगढ़ मास्टर प्लान 2021 में घरों की संरचनात्मक सुरक्षा और बिल्डिंग बायलॉज के संबंध में प्रस्ताव उपलब्ध हैं। जबकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 18 जनवरी 2023 के आदेश के माध्यम से प्रथम तल क्षेत्रफल अनुपात पर रोक लगा रखी है।
इस संबंध में उन्होंने चंडीगढ़ के माननीय प्रशासक से चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड की कार्यप्रणाली पर ध्यान देने को कहा है।