हरियाणा सरकार के आदेश को राकेश टिकैत ने बताया तानाशाही

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मुजफ्फरनगर :  हरियाणा में तीसरी बार बनी भाजपा की सरकार में लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने नायाब सैनी की सरकार के किसानों के लिए आये आदेश को तानाशाही हुकुम बताते हुए भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता चौ. राकेश टिकैत ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि भाजपा की सरकार अब देश के अन्नदाता को निशाना बनाने का काम करते हुए उत्पीड़न पर उतारू हो रही है।

दरअसल, 17 अक्टूबर 2024 को कृषि एवं किसान कल्याण विभाग हरियाणा के निदेशक की ओर से सभी उपायुक्त, जिला नोडल अधिकारी और उप निदेशक कृषि के नाम एक आदेश जारी किया गया है। इसमें पुराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए विभाग द्वारा सरकार के दिशा निर्देशन में लिये गये दो निर्णयों की जानकारी देते हुए इनका शत प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये हैं।                                       इसमें कहा गया है कि मौजूदा कृषि सीजन में सीएक्यूएम के द्वारा जारी व्यवस्था के अनुसार यदि राज्य में कहीं पर भी कोई किसान अपने खेतों में पुराली आदि कृषि अवशेष को जलाकर वायु प्रदूषण करता है तो ऐसे किसानों के खिलाफ तत्काल स्तर पर एफआईआर दर्ज कराई जाये। इसके साथ ही दूसरा निर्णय यह लिया गया है कि पुराली एवं दूसरे कृषि अवशेष खेतों में जलाने वाले किसानों के एमएफएमबी रिकॉर्ड में डिप्टी डायरेक्टर एग्रीकल्चर द्वारा रेड मार्किंग की जायेगी, इसके साथ ही ऐसे किसानों को ई खरीद पोर्टल पर बैन करते हुए दो साल के लिए मंडी में कृषि उपज बेचने से प्रतिबंधित किया जायेगा।

 

 

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग हरियाणा सरकार की ओर से जारी इस आदेश को लेकर भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता किसान नेता राकेश टिकैत ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने अपने सोशल साइट फेसबुक पर कृषि निदेशक के आदेश का पत्र भी साझा करते हुए इसको तानाशाही रवैया बताया है। राकेश टिकैत ने अपनी टिप्पणी में कहा कि हरियाणा में नई सरकार का गठन होते ही सबसे पहले निशाना देश के अन्नदाता को बनाया गया है, कृषि विभाग ने एक तानाशाही फरमान जारी करते हुए कहा है कि पराली जलाने पर किसान पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा, साथ ही दो वर्ष के लिए फसल की खरीद पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। एसकेएम नेता राकेश टिकैत ने कहा कि ऐसे आदेशों में सरकार की मानसिकता किसान विरोधी साफ नजर आती है। एक तरफ पराली के नाम पर किसानों पर मुकदमे दर्ज किए जाएंगे और दूसरी तरफ औद्योगिक क्षेत्र जो पूरे वर्ष प्रदूषण फैलाता है, उन पर कोई कार्यवाही नहीं होती। वह मानकों के हिसाब से सही साबित होते हैं, अगर कहीं गलत है तो वह देश का किसान है।

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