हरोली : ऊना जिले के हरोली के गांव अपर बढेड़ा में दो मंजिला इमारत में अवैध रूप से चलाए रहे एक नशा मुक्ति केंद्र का पुलिस ने रेड कर नशा मुक्ति केंद्र में उपचाराधीन करीब 33 लोगों को छुड़ाया है और नशा मुक्ति केंद्र चलाने वाले 6 संचालकों के खिलाफ हरोली पुलिस ने झूठ बोल कर लोगों से रूपये ऐंठना व 33 युवकों को कमरे के अन्दर बन्द रखना पाया जाने पर बलराम निवासी बारापुर , बलजीत निवासी चब्बेवाल, सौरभ निवासी गांव बस्सी, अमरीक सिंह निवासी गांव मेहना, हरप्रीत सिंह पुत्र निरंजन सिंह गांव बिहला जिला होशियारपुर पंजाब व राहुल कुमार पुत्र केपी सिंह निवासी रक्कड़ कलोनी जिला ऊना (हि.प्र.) के खिलाफ पुलिस थाना हरोली में भारतीय दण्ड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत अभियोग पंजीकृत कर लिया गया है । जिन्में से दो आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
उक्त अबैध रूप में चलाये जा रहे नशा मुक्ति केंद्र में 31 लोग पंजाब के, जबकि दो चंबा और सोलन के रहने वाले हैं। इनमें 29 की उम्र 22 और 35 साल के बीच में है। केंद्र में भर्ती लोगों के उपचार के लिए कोई चिकित्सक और विशेषज्ञ मौके पर मौजूद नहीं था। पुलिस को केंद्र की देखरेख करने वाले केवल दो लोग और एक खाना बनाने का काम करने वाली महिला मिली है।
हरोली पुलिस को रविवार शाम गुप्त सूचना मिली कि गांव अपर बढेड़ा में स्थित एक मकान में अवैध रूप से नशा मुक्ति केंद्र चलाया जा रहा है। जिसके बाद एसडीएम हरोली विशाल शर्मा, डीएसपी हरोली मोहन रावत, बीएमओ हरोली संजय मनकोटिया भी देर शाम अपर बढेड़ा में पहुंचे। उनकी अगुआई में पुलिस टीम ने मकान में छापेमारी की और तलाशी दौरान ग्राउंड फ्लोर पर 33 युवक इलाज के लिए भर्ती थे । इस दौरान नशा मुक्ति केंद्र के संचालक बलराम और बलजीत पुलिस को केंद्र संचालन से जुड़ें दस्तावेज नहीं दिखा पाए। उन्होंने पुलिस को बताया कि केंद्र का संचालन करीब छह महीने किया रहा है और वह दोनों देखरेख करते हैं। वहीं, मौके पर एक महिला भी मिली, जो खाना बनाती थी। इसके अलावा केंद्र से जुड़े चार अन्य आरोपी मौके पर नहीं मिले।
केंद्र में भर्ती अजय कुमार ने बताया कि केंद्र संचालकों ने इलाज के बदले उनके परिवार से 20,000 की राशि ली है। संचालकों ने उन्हें अपना केंद्र पंजीकृत होने का दावा कर ठगा है। उन्हें केंद्र के एक बड़े हाल में रखा जाता और बाहर से ताला लगा दिया जाता। उन्होंने कहा कि साफ-सफाई के अलावा अन्य व्यवस्थाएं और जरूर स्टाफ भी केंद्र में नहीं है। पुलिस ने जांच-पड़ताल में पाया कि सभी लोगों से इसी तरह झूठ बोलकर पैसे ऐंठे और 33 लोगों को को बीते कुछ माह से कमरे में बंद रखा गया।
गोंदपुर बनेहड़ा निवासी एक युवक इसी केंद्र में बीते वर्ष की मौत हो गई थी। परिजनों ने पीट-पीटकर युवक को मार डालने का आरोप लगाया था। पुलिस जांच के बाद केंद्र को सील कर दिया गया था। इस बीच बीते दिनों अचानक बिना पुलिस और प्रशासन को सूचित किए दोबारा केंद्र खोला गया और वहां 33 लोगों का इलाज शुरू कर दिया।डीएसपी हरोली मोहन रावत ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है, दो आरोपियों को मौके से ग्रिफ्तार कर लिया गया है, अन्य चार आरोपियों को भी शीध्र पकड़ कर पूछताछ की जाएगी और इन्मे से मुख्य आरोपी कौन है, इसकी पड़ताल भी की जा रही है। केंद्र में मिले इलाज के लिए भर्ती युवकों को उनके परिजनों के हवाले कर दिया गया है।