एएम नाथ। शिमला : पुलिस वाले न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वह कठिन ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मियों की सेवा शर्तों में सुधार के लिए कम से कम 45 दिन का अतिरिक्त वेतन दे।
न्यायालय ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को पुलिस बल के कल्याण के लिए 13 अप्रैल, 2012 को गठित एक सदस्यीय राज्य पुलिस सुधार आयोग की सिफारिश के अनुसार तीन महीने के भीतर कोष बनाने का निर्देश भी दिया।
कोर्ट ने सरकार को पुलिसकर्मियों के लिए आवास योजना आरंभ करने और करियर के दौरान कम से कम तीन पदोन्नतियां देने के लिए नियमों में उपयुक्त संशोधन करने को कहा ताकि नौकरी में ठहराव को दूर कर दक्षता में सुधार हो सके। पुलिस विभाग को कर्मचारियों को छुट्टियां देने में उदारता बरतने का निर्देश भी दिया।
मुआवजा देने के आदेश
कोर्ट ने कहा, पुलिस बल के स्वजन को ड्यूटी के दौरान शारीरिक चोट लगने, दिव्यांगता होने या मृत्यु की स्थिति में उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए।
यातायात पुलिस को पर्याप्त अवकाश दें
कोर्ट ने सरकार को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि यातायात पुलिसकर्मियों को गर्मियों में कर्तव्यों का निर्वहन करते समय पर्याप्त अवकाश दिया जाए। वहीं इन्हें हानिकारक गैसों और धुएं से बचाने के लिए मास्क देने चाहिए। सभी पुलिसकर्मियों की मेडिकल फिटनेस का आकलन करने के लिए हर तीन महीने में चिकित्सकीय जांच की जानी चाहिए। सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि पुलिस स्टेशन कुशल और लोगों के अनुकूल पुलिसिंग के लिए शिफ्टों में काम करें।
डॉक्टरों की भर्ती व विशेष चयन बोर्ड का हो गठन
कोर्ट ने कहा, सरकार को पुलिस बल के लिए विशेष रूप से योग्य डॉक्टरों की भर्ती करनी चाहिए। पुलिसकर्मियों की भर्ती के लिए विशेष चयन बोर्ड का गठन करने का भी निर्देश दिया ताकि पदों को समय पर भरा जा सके।
सरकार को पुलिस थानों के साथ पुलिस आवास कॉलोनियों में जिम और स्विमिंग पूल आदि सहित पर्याप्त मनोरंजन सुविधाएं प्रदान करने का भी निर्देश दिया गया। प्रत्येक जिले में मनोचिकित्सक की नियुक्ति करने का भी निर्देश दिया ताकि अत्यधिक दबाव और तनाव में रहने वाले पुलिसकर्मियों को परामर्श दिया जा सके।
एनओसी देने से जुड़े मामले में कैबिनेट का निर्णय किया रद
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने अनापत्ति प्रमाणपत्र देने से जुड़े एक मामले में कैबिनेट के निर्णय को रद कर दिया है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने इस मामले में कानून के दायरे में रहते हुए नवीनतम निर्णय लेने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा, चूंकि कैबिनेट का निर्णय कानूनी तौर पर सही नहीं है इस कारण इसे कायम नहीं रखा जा सकता।
कोर्ट ने सात जुलाई, 2023 को कैबिनेट द्वारा पारित आदेश को रद कर दिया और निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता के मामले पर अपने स्तर पर नए सिरे से विचार करे और हाई कोर्ट द्वारा सीडब्ल्यूपी संख्या 7148/2022 में पारित निर्देश के अनुसार अनापत्ति प्रमाण पत्र देने के संबंध में निर्णय ले।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि प्रतिवादियों को बीएससी नर्सिंग की 60 सीट चलाने के लिए याचिकाकर्ता सोसायटी नर्सिंग कॉलेज नोगली (रामपुर) जिला शिमला के पक्ष में एनओसी/आवश्यक प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश दिया जाए।