चंडीगढ़ : गणतंत्र दिवस परेड में पंजाब की झांकी 3 साल बाद निकली। पंजाब की झांकी ने राज्य को ज्ञान और बुद्धि की भूमि के रूप में प्रदर्शित किया, जिसमें क्षेत्र के उत्कृष्ट हस्तशिल्प और समृद्ध संगीत विरासत को प्रदर्शित किया गया। इस झांकी में ग्रामीण पंजाब की झलक दिखाई गई थी। पंजाब की झांकी सूफी संत बाबा शेख फरीद जी को समर्पित थी।
पंजाब मुख्य रूप से कृषि प्रधान राज्य है, इसलिए झांकी में एक जोड़ी बैलों को दिखाया गया, जो राज्य के कृषि पहलू को दर्शाते हैं। झांकी में राज्य की समृद्ध संगीत विरासत को भी दिखाया गया, जिसमें पारंपरिक वेशभूषा में एक व्यक्ति अपने हाथ में ढोलक और खूबसूरती से सजाए गए मिट्टी के बर्तन (घारा) के साथ तुंबी पकड़े हुए था। पारंपरिक पोशाक में एक महिला को अपने हाथों से कपड़ा बुनते हुए दिखाया गया। इस प्रकार फूलों की आकृति से ढकी लोक कढ़ाई की कला को प्रदर्शित किया गया – जो दुनिया भर में फुलकारी के रूप में लोकप्रिय है।
बाबा शेख फरीद पंजाबी भाषा के पहले कवि थे जिन्होंने इसे विकसित और पोषित किया, इस प्रकार इसे साहित्यिक क्षेत्र में लाया। उनकी नैतिक शिक्षाएं सभी लोगों को नैतिक सिद्धांतों का पालन करने और ईश्वर के प्रति समर्पित होने पर केंद्रित थीं।
3 साल बाद निकली झांकी
इससे पहले पंजाब की झांकी साल 2022 में दिखी थी। जिसको लेकर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने नाराजगी भी जताई थी। साल 2025 के 76वें गणतंत्र दिवस पर पंजाब की झांकी को जगह मिली। इस झांकी को कलाकारों ने 21 दिन की मेहनत के बाद तैयार किया था।
सीएम भगवंत मान ने उठाया किसानों का मुद्दा
सीएम भगवंत मान ने गणतंत्र दिवस पर पटियाला में ध्वजारोहण किया। इस मौके उन्होंने पंजाब के किसान को देश का अन्नदाता बताते हुए कहा कि अफसोस है कि राज्य के किसानों को अपने विभिन्न मसले हल करवाने के लिए हड़ताल करनी पड़ रही है, धरने देने पड़ रहे हैं। अब तो मरणव्रत भी रखना पड़ गया है।
उन्होंने कहा कि ऐसे में केंद्र सरकार को चाहिए कि वह किसानों को बुलाकर उनसे बात करके उनकी मांगें स्वीकार करें। सीएम ने कहा कि पंजाब की खेती के लिए अहम ट्रैक्टरों का मुंह दिल्ली की बजाए खेतों की तरफ ही रहना चाहिए।